Book Title: Pratikraman Sutra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 10
________________ ‍ अनुक्रमणिका. अनुक्रमांक. ग्रंथीनां नाम. ए करेमि नंते, ए सामायिकनां पञ्चस्काणनो पाठ अर्थसहित. १० सामायिक पारवानो, सामश्यवयजुत्तो ए पाठ अर्थसहित. ११ सबलोए अरिहंत चेश्याएं अर्थसहित. १२ जगचिंतामणि चैत्यवंदन अर्थसहित. १३ जं किंचि अर्थसहित. .... .... Jain Educationa International .... .... .... .... २३ नमोऽर्हत् सिद्धाचार्योपाध्याय सर्वसाधुत्र्यः अर्थसहित. २४ संसारदावानी स्तुति अर्थसहित. २५ कल्याणकंदनी स्तुति अर्थसहित १४ नमुणं अथवा शक्रस्तव अर्थसहित एमां इहलोका दिक सात ari नाम इत्यादिक घणी वातो प्रसंगें आवेली ठे. १५ जावंति चेाई अर्थसहित ३ १६ जावंत केवि साहू अर्थसहित. ३ १० उपसर्गहर स्तवन अर्थसहित तथा एनी उत्पत्ति पण दर्शावी बे. ७४ १८ जयवीयराय जगगुरु अर्थसहित. १० अरिहंत चेश्याएं अर्थसहित... २० पुरकरवरदी व अर्थसहित. २१ सिद्धाणं बुद्धाएं अर्थसहित. २२ वेयावच्चगराणं अर्थसहित. .... पृष्ठांक ५४ दय այ այ ६० For Personal and Private Use Only .... .... .... .... 0.00 .... .... .... .... **** .... .... .... .... .... .... ६१ .... GE २६ स्नातस्यानी स्तुति अर्थसहित...... US 29 सुगुरुने वांदणांनो अधिकार, घणाज विस्तारित अर्थसहित.... १०० २८ प्रतिचारनी आठ गाथा अर्थसहित एमां बार प्रकारना तपनो अधिकार बे, तथा तेनी साथै "सयणासण पाणे" ए गाथा जे मुनिराज काउस्सग्गमां चिंतवे बे, ते पण अर्थसहित बे. २० देवसि थालो अर्थसहित. ३० सात लाख पृथिवीकायनो पाठ. ३१ अढार पापस्थानक अर्थसहित. ३२ देवसि पंडिकमणे गतं. एनो अर्थ आगल सबस्सवि देवसियं नामा श्रामत्रीशमा सूत्रांनी अंतर्गत यवशे. १ ३ ԵՒ o १ १ ए २० ११ પ ११७ १९७ www.jainelibrary.org

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