Book Title: Pratikraman Sutra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 9
________________ अस्य ग्रंथस्यानुक्रमणिका. अनुक्रमांक. ग्रंथोनां नाम. पृष्ठांक. १ श्री नवकार मांगलिकरूप अर्थसहित, तेनी (अनुक्रमणिका.) १ श्री नमो अरिहंताणं ए शब्दना अर्थ अनेक प्रकारे दर्शाव्या . १ २ नमो सिकाणं ए शब्दना अर्थ. ३ नमो आय रियाणं ए शब्दना अर्थ. ४ नमो उवसायाणं ए शब्दना अर्थ. ५ नमो लोए सबसाहणं ए शब्दना अर्थ. ६ श्रीअरिहंतादिक पंच परमेष्टीने अनुक्रमें नमस्कार करवाना हेतु. ७ एसो पंचणमुक्कारो इत्यादिक शब्दोना अर्थ. १२ ७ हवश् मंगलंने कोइएक होश् मंगलं कहे , तेनुं समाधान. १३ ए श्री अरिहंतनां श्राप प्रातिहार्य तथा चार मूलातिशय कह्या ले. १० श्री सिझ परमात्माना आठ गुणनुं वर्णन कझुं बे. ११ श्री आचार्य प्रजुना बत्रीश गुण सविस्तर वर्णव्या बे. १२ श्री उपध्यायजीना पच्चीश गुण दर्शाव्या . .... १३ श्री साधु मुनिराजना सत्तावीश गुणनां नाम कह्यांबे. २ गुरुस्थापना पंचिंदिय अर्थसहित. एमां प्रसंगें पंचेंजियना त्रेवी श विषय अने बशें बावन विकारनो विवरो देखाड्यो बे. .... ३ खमासमण अथवा प्रणिपात अर्थसहित. .... .... .... २७ ४ सुगुरुने शातासुखपृला. श्वकारिनो पाठ. अर्थसहित. .... .... ५ रियावहियं सूत्र विस्तारित अर्थसहित एमां श्रढार लाख, चोवी श हजार, एकशो ने वीश मिठामि उक्कडंनो विवरो दर्शाव्यो...... २७ ६ तस्स उत्तरीकरणेणं अर्थसहित. .... .... .... .... ३६ ७ अन्नड उससिएणं अर्थसहित. एमां बार आगारनां नाम तथा ___ काउस्सग्गना अंगणीश दोषनां नाम पण कह्यां . .... ... ३० लोगस्स अर्थसहित. एमांप्रसंगेश्री ऋषनादिक चोवीश तीर्थकरनांमाता, पितातथानगरीयादिकनांनामकह्यांतयातीर्थंकरोनांनामपामवानाहेतु. ४५ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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