Book Title: Prathamanuyoga Dipika Author(s): Vijayamati Mata, Mahendrakumar Shastri Publisher: Digambar Jain Vijaya Granth Prakashan Samiti View full book textPage 6
________________ श्री चौबीस तीर्थंकरों के चिह्न वृषभनाथ का "वृषभ' जु जान । अजितनाथ के 'हाथी' मान । संभव जिनके 'घोडा' कहा, अभिनन्दन पद 'बन्दर' लहा ।। सुमतिनाथ के 'चकवा' होय । पद्मप्रभु के 'कमल' जु जोय । जिनसुपास के 'साथिया' कहा, चन्द्र प्रभु पद 'चन्द्र' जु लहा ।। पुष्पदन्त पद 'मगर पिछान, 'कल्पवृक्ष' शीतल पद मान । श्री श्रेयांस पद 'गेंडा' होय, वासुपूज्य के 'भैसा जोय 11 विमलनाथ पद 'शूकर' मान, अनन्तनाथ के 'सेही जान । धर्मनाथ के 'वज' कहाय, शान्तिनाथ पद 'हिरन' लहाय ।। कुन्थुनाथ के पद 'अज' जीन, अरजिन के पद चिह्न जु 'मीन' ! मल्लिनाथ पद 'कलश' कहा, मुनिसुव्रत के 'कछुआ' लहा। 'लालकमल' नमिजिन के होय, नेमिनाथ-पद 'शङ्खजु जोय । पार्श्वनाथ के 'सर्प' जु कहा, वर्द्धमान पद 'सिंह' हि लहा ।।Page Navigation
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