Book Title: Prashamratiprakaran
Author(s): Umaswati, Umaswami, Yajneshwar S Shastri
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 151
________________ 76 पाठभेदाः १०२. संवेदनीय-C. १०३. निवेदनीय-C. १०४. व्यापृतं -B. D. E. F. G. १०२. अनुशष्ट्य र्थ:-C. १०६. च-B. D. E. }. G. १०७. पापाश्रव-A1. B. C. १०८. त्रि- C. omits. १०९. पञ्चन्द्रियास्तु-A2.C. D. E. F. ११० त्रसाश्च-B. G. १२१. अवगाहन-C. ११२. तु-B. G. ११३. चैक-B. D E. F. G. ११४. विधास्तु-A2. ११५. चेति-B. D. E. F. G. ११६. प्रदेशका:-B. D. G. ११७. युगटः-C. ११८. 'च'-C. omits. ११९. स्थित्युपकर्ता-AP. C. D. E. F. १२०. गन्धवर्णाः -B. D. E. F.G. १२१. बन्धश्च-B, D. E. F. G. १२२. पुण्यमपि-C. १२३. पुण्याश्रव-A1. B. C. F. १२४. पापश्च-G. १२५. विपर्यायः-G. १२६. निराश्रयः-A. B. E. १२७. संवृतस्य-G. १२८ तपउपधान-B. C. G. १२९. पतच्च -B. C. G. १३०. एकार्थः B. C. D. E. F. G. १३१. चावधि-G. १३२. परिहारविशुद्धिः --A.' A2 (but it's commentary ___readign). D. १३३. मोक्षसाधक-C. १३४. (a) अनेकानुयोग-B. (b) अनेकैरनुयोग-G. १३५. 'अपि-C. omits. १३६. सिद्धिः -C. Jain Education International For Private & Personal Use Only takes विशुद्धिक www.jainelibrary.org

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