Book Title: Prashamratiprakaran
Author(s): Umaswati, Umaswami, Yajneshwar S Shastri
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 160
________________ औदारिकप्रयोक्ता क कः शुक्रशोणितसमुद्भव कर्ममयः संसारः कर्मशरीरमनोवाक् कर्मोदयनिर्वृत्तं कर्मोदयाद्भवगतिः कलरिभितमधुर करण्याकल्प्यविधि कश्चिच्छुभोऽपि कार्मणशरीरयोगी कार्याकार्यविनिश्चय कारणवशेन यद्यत् कालं क्षेत्र मात्राम् किञ्चित् शुद्धं कल्प्यम् कुलरूपवचनयौवन कृत्स्ने लोकालोके केचित्सात रिसा अ कोsa निमित्त क्रोधः परितापकरः क्रोधात्प्रीतिविनाशम् क्लिष्टाष्टकर्मबन्धन क्षणविपरिणामधर्मा क्षपक श्रेणिपरिगतः क्षीणचतुष्कर्मा शो Jain Education International Appendix-III २७५ ८५ २१७ १०१ ३९ ४१ १३९ ४९ २७६ २१ ५० १३७ १४५ ६७ २६९ ७६ ९ २६ २५ २२ १२१ २४६ २७० For Private & Personal Use Only 85 www.jainelibrary.org

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