Book Title: Prashamratiprakaran
Author(s): Umaswati, Umaswami, Yajneshwar S Shastri
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 161
________________ 86 प्रशमरस्यन्तर्गतार्याणां अकारादिक्रमेण सूच ४२ 0 our गतिविभ्रमनिताकार गर्व परप्रसादात्मकेन गुणवदमूछित गुर्वायत्ता यस्मात् ग्रन्थः कर्माष्टविधम् ग्रहणोद्ग्राहणनवकृति 0 १४२ ९१ चरमभवे संस्थाने चरभे समये संख्या चैत्यायतनप्रस्थाप २८५ छद्मस्थवीतरागः २६६ ९८ जन्मजरामरणभयैः जन्म समवाप्य जातिकुलरूपयल जात्यादि मदोन्मत्तः जिनभाषितार्थ जिनवरवचन जिनशासनार्णवात् जिनसिद्धाचार्यों जीवाजीवा द्रव्यं जीवाजीवानां द्रव्यात्मा जीवाजीवाः पुण्य २४९ ३१० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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