Book Title: Prakrit aur Jain Dharm ka Adhyayan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 26
________________ 6. सुश्री निर्मला चौरड़िया स्थानांगसूत्र : एक सांस्कृतिक अध्ययन 7. श्री एस. राजेश कुमार Non- Alignment : A Policy towards worlds peace reference to Anekant 8. श्री ओम प्रकाश टाक गॉधी दर्शन में युवा शक्ति : समीक्षात्मक विश्लेषण 9. समणी कुसुम प्रज्ञा सामायिकनियुक्ति : पाठ सम्पादन एवं परिशीलन 10. समणी निर्वाण प्रज्ञा अहिंसा का शिक्षण-प्रशिक्षण : समीक्षात्मक अध्ययन 11. साध्वी श्रुतयशा नन्दीसूत्र का ज्ञान- मीमांसात्मक विश्लेषण 12. साध्वी मुदित यशा सन्मतितर्क प्रकरण : एक समीक्षात्मक प्रकरण 13. समणी चैतन्य प्रज्ञा Science and Spirituality in the Bhagwati Sutra 14. चिन्ता हरण बेताल Effect of Preksha Meditation or Drug Abuser's Personality. 15. आलोक आनन्द पारिवारिक शान्ति में अनेकान्त की भूमिका __ वर्तमान में संस्थान के सभी विभागों में अनेक शोधार्थी शोध एवं शिक्षण में कार्यरत हैं । आगम, अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर समता विभूति आचार्य श्री नानालाल जी महाराज सा के अपने 1981 के उदयपुर वर्षावास में सम्यकज्ञान की अभिवृद्धि हेतु प्रभावशाली उद्बोधन से आगम , अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान की उदयपुर में स्थापना हुई है । यह संस्थान श्री अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संघ , बीकानेर की प्रमुख प्रवृत्तियों में से एक हैं | इसका प्रमुख उद्देश्य है- अहिंसा एवं समता-दर्शन की पृष्ठभूमि में जैनागमों तथा प्राकृत , अपभ्रंश , संस्कृत, तमिल , कन्नड़ , राजस्थानी , हिन्दी आदि भाषाओं में रचित जैन साहित्य के अध्ययन , शिक्षण एवं अनुसन्धान की प्रवृत्ति को विकसित करना तथा इन विषयों के विद्वान तैयार करना । साथ ही इन भाषाओं के अप्रकाशित साहित्य को आधुनिक शैली में सम्पादित एवं अनुवादित कर प्रकाशित करना । संस्थान में एक समृद्ध पुस्तकालय विकसित किया जा रहा है । वर्तमान में इस पुस्तकालय में लगभग 5000 प्रकाशित पुस्तकें एवं 1500 हस्तलिखित पाण्डुलिपियां हैं । संस्थान के प्रकाशन : 1-प्राकृत भारती- डॉ. प्रेम सुमन जैन एवं डॉ. सुभाष कोठारी , 1991 2-तंदुलवैयालिपइण्णय अनुवादक डॉ. सुभाष कोठारी , 35/ रूपये , 1991 प्राकृत और जैनधर्म का अध्ययन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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