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1. History of Jainism
by Dr. K. C. Jain 2- Philosophy & Psychology by Dr. M. D. Vasantha Raj 3- Religion & Ethics
by Dr. Kamal Chand Sogani 4- Logic & Epistemology by Dr. Dharam Chand Jain 5- Language & Literature Vol.1 by Dr. Raja Ram Jain 6- Language & Literature Vol.2 by R. .Soorideva 7- Manuscripts and Inscriptions by M. Vinay Sagar 8- Arts and Architecture ___ by Dr. R.C. Sharma 9- Science in Jain Literature by Dr. Anupam Jain 10- Contemporary Philosophy, by Dr. Bhagchand Jain ( Bhasker)
Religion & Culture 11-Jain Society
by Dr. Vilas Sangave
The ENCYCLOPEDIA OF JAINISM will be published by the World Council of Jain Academies (WCJA).
राष्ट्रीय प्राकृत अध्ययन एवं संशोधन संस्थान , श्रवणबेलगोला
राष्ट्रीय प्राकृत अध्ययन एवं संशोधन संस्थान , श्रवणबेलगोला को पी. एच.डी. उपाधि के शोध कार्य हेतु मैसूर विश्वविद्यालय ने मान्यता प्रदान कर दी है। राष्ट्रीय प्राकृत अध्ययन एवं संशोधन संस्थान , श्रवणबेलगोला में 2-3 जनवरी 1999 को प्राकृत भाषा की पुवागम की परम्परा राष्ट्रीय विचारगोष्ठी श्रवणगेलगोला के कर्मयोगी स्वस्ति श्री चारूकीर्ति भट्टारक जी की अध्यक्षता में हुई । इसमें जैन आगमों की परम्परा और 12 अंग व 14 पूर्वो के बारे में विद्वानों द्वारा विस्तृत चर्चा की गई । यह संस्थान 1993 से प्राकृत शिक्षण और शोध के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य सम्पन्न कर रहा है। इस संस्थान से प्राकृत और जैन धर्म की शोधपूर्ण पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं ।
उमास्वाति स्वामी पर अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी
भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डोलाजी , दिल्ली के तत्वाधान में 4-6 जनवरी 1999 को आ. उमास्वाति और उनका अवदान पर एक द्विदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न हुई जिसमें देश के अनेक मूर्धन्य विद्वानों
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प्राकृत और जैनधर्म का अध्ययन
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