Book Title: Prakrit aur Jain Dharm ka Adhyayan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 58
________________ लगभग 90 व्याख्यान , कार्यशाला गोष्ठी आदि इसमें आयोजित हुए जिनमें । आधुनिक संदर्भ में जैनधर्म · विषय पर विश्लेषण किया गया । अन्तर्राष्ट्रीय शोध पत्रिका जैन स्प्रिट ( JAINA SPIRIT ) के प्रवेशांक का प्रकाशन डॉ अतुल शाह लंदन के संपादन में संपूर्ण विश्व में जैनधर्म दर्शन और आधुनिक विश्व के सम्बन्ध में नया विश्लेषण और सूचनाएँ प्रदान करने के लिए जैन स्प्रिट नाम की त्रैमासिक शोधपत्रिका का प्रकाशन प्रारंभ हुआ है। अक्टूबर दिसम्बर 1999 का प्रथम अंक प्रसारित किया गया है , जिसमें जैनधर्म और दर्शन तथा पर्यावरण आदि के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी गई है। इसका संपर्क सूत्र हैMailling Address North America: Jaina Spirit ,1884 Dorsetshire Road, Columbus, OH 43229, U.S.A. Freephone : 1-888-JAINISM Rest of the World: Jain Spirit, 237 Preston Road, Wembley, Middlesex, HA9 8PE , UK. Tel: 44-20838 50005 Email : Subscribe @ jainspirit.org विदेशों में जैन विश्वविद्यालयों की संस्थापना का कार्य स्वर्गीय आचार्य मुनि सुशील कुमार जी ने कर दिया था । उनके प्रयास से ही 1993 ई. में कोलम्बिया विश्वविद्यालय में एक जैन चेयर की स्थापना हुई है। यह चेयर दक्षिण एशिया अध्ययन संस्थान के अन्तर्गत काम करेगी । ज्ञातव्य है कि मुनिश्री न्यूयार्क में एक अहिंसा विश्वविद्यालय की स्थापना कर गये है , जो संयुक्त राष्ट्र संघ के शान्ति विश्वविद्यालय के साथ काम करेगा । इसमें अहिंसा एवं जैन विद्याओं के अध्ययन के साथ ही पर्यावरण पर भी अध्ययन किया जाएगा । पाश्चात्य विद्वानों द्वारा जैनविद्या पर किये गये कार्यों के इस विवरण को पूर्ण नहीं कहा जा सकता । बहुत से विद्वानों और उनके कार्यों का उल्लेख साधनहीनता और समय की कमी के कारण इसमें नहीं हो पाया है। फिर भी पाश्चात्य विद्वानों का निरन्तर लगन , परिश्रम एवं निष्पक्ष प्रतिपादन शैली का ज्ञान इससे होता ही है । पाश्चात्य विद्वानों द्वारा जैनविद्या के क्षेत्र में किये गये प्राकृत और जैनधर्म का अध्ययन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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