Book Title: Prakrit aur Jain Dharm ka Adhyayan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 59
________________ इस योगदान का एक परिणाम यह भी हुआ कि भारत और विदेशों में जैनविद्या के अध्ययन- अध्यापन के लिए स्वस्थ वातावरण तैयार हुआ है। अनेक विदेशी विद्वान् भारत की विभिन्न संस्थाओं में तथा अनेक भारतीय विद्वान् विदेशों के विश्वविद्यालयों में जैनविद्या पर शोध-कार्य करने में संलग्न हैं । विगत तीन दशकों ( 1970 से 2000) में विदेशों में सम्पन्न जैनविद्या के अध्ययन की प्रगति एवं प्रकाशित पुस्तकों का विस्तार से मूल्यांकन किया जाना शेष हैं । विगत दशक में प्रकाशित प्रमुख साहित्य 1-समयसार : निश्चय और व्यवहार की यात्रा- युवाचार्य महाप्रज्ञ __ जैन विश्वभारती, लाडनूं ,1991 पृष्ठ 165 मूल्य- 25 रूपये । 2-द जैन वे आफ लाइफ- डॉ. जगदीशचन्द्र जैन , द एकेडेमिक प्रेस ,गुडगांव , 1991 , मूल्य 100 रूपये । 3-द जैन पाथ आफ अहिंसा - डॉ. विलास संगवे __ भगवान् महावीर रिसर्च, सेन्टर सोलापुर 1991 , 20 रूपये । 4-श्रावकाचार- जैन कोड आफ कण्डक्ट फार हाउसहोल्डर डॉ. बी के. खडबडी राजकृष्ण जैन चरिटेबल ट्रस्ट नई दिल्ली 1992 , 50 रूपये । 5-जिनवाणी के मोती -दुलीचन्द जैन , जैन विद्या अनुसन्धान प्रतिष्ठान , 18 रामानुज अयर स्ट्रीट , साहुकारपेट , मद्रास , 1993 , 50/ जिन वाणी के मोती सामान्य गृहस्थ के लिए आगम-साहित्य से संकलित बोधप्रद और मार्मिक सूक्तियों का संग्रह है जो मानव जीवन के लिए प्रेरणास्पद उपदेशों से भरापुरा होने से परम उपयोगी बन पड़ा है। सरल और हृदयस्पर्शी सूत्तियाँ सरल और प्रवाहमयी भाषा में अनुवादित होने के प्रत्येक जिज्ञासु पाठक के लिए सहज बोधगम्य है और दैनन्दिन जीवन में उत्साह एवं प्रेरणा देने वाली हैं। 6–महामन्त्र णमोकार वैज्ञानिक अन्वेषण- डॉ. रवीन्द्र कुमार जैन , बी-5/263 , यमुनाविहार , दिल्ली 1993, 50/-रूपये 7-जयदेव महाकाव्य का शैली वैज्ञानिक अनुशीलन- कु. आराधना जैन, गंज बासौदा (विदिशा ) , 1994 मूल्य 50/-रूपये । 58 प्राकृत और जैनधर्म का अध्ययन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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