Book Title: Prakrit aur Jain Dharm ka Adhyayan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 60
________________ 8-आचारांगभाष्यम् ( मूलपाठ संस्कृत भाष्य, हिन्दी अनुवाद , तुलनात्मक टिप्पण , सूत्र-भाध्यानुसारी विषय- विवरण , वर्गीकृत विषय- सूची तथा विविध परिशिष्टों से समलंकृत )- आचार्य महाप्रज्ञ , जैन विश्वभारती संस्थान लाडनूं 1994 मूल्य 300/-रूपये ।। 9-लाइफ इन ए एंशियन्ट इंडिया एज डिपिक्टेड इन प्राकृत लिटरेचर -प्रो. के. कमला , प्राकृत अकादमी , 16 तुलजागुडा , मोजामजाही मार्केट , हैदराबाद , 10-प्राकृत वाक्यरचना बोध : युवाचार्य महाप्रज्ञ , सम्पादक – मुनि श्रीचन्द कमल जैन विश्वभारती संस्थान लाडनूं ( राज) 1991 , 100/-रूपये । 11-परंपरागत प्राकृत व्याकरण की समीक्षा और अर्धमागधी -डॉ. के. आर. चन्द्रा प्राकृत जैन विद्या विकास फंड , अहमदाबाद ., 1995, 50 रूपये 12-निग्रंथ ( प्रवेशांक ) संपादक --एम. ए. ढाकी एवं जितेन्द्र शाह , शारदा बेन चिमनभाई एज्यूकेशनल रिसर्च सेन्टर , अहमदाबाद 1995 13-अपभ्रंश का जैन रहस्यवादी काव्य और कबीर - डॉ. सूरजमुखी जैन : कुसुम प्रकाशन आदर्श कालोनी , मुजपफरनगर 1996 ; 200 रूपये 14-भद्रबाहु -चाणक्य चन्द्रगुप्त कथानक एवं कल्किवर्णन , महाकवि रइधू, डॉ. राजाराम जैन , श्री दिगम्बर जैन युवक संघ , मूल्य 25 रूपये 15-अपभ्रंश अभ्यास सौरभ – डॉ. कमलचन्द सोगानी ; अपभ्रंश साहित्य अकादमी 85/रूपये 1996 16-जैन न्याय की भूमिका -डॉ. दरबारीलाल कोठिया , श्रीमहावीर जी (राज.) 1995 17-32 परम पूज्य उपाध्याय श्री ज्ञानसागरजी महाराज की प्रेरणा से स्थापित आचार्य शान्तिसागर छाणी ग्रन्थमाला , बुढ़ाना एवं प्राच्य श्रमण भारती मुजपफरनगर तथा अन्य प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित साहित्य - 1.सराक जैन क्षेत्रों का सर्वेक्षण समीक्षात्मक अध्ययन - -डॉ. कस्तूरचन्द्र कासलीवाल 2.तीर्थकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा भाग -1-4 -डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री 3.मानवता की धुरी – नीरज जैन 4.समाज निर्माण में महिलाओं का योगदान - डॉ. नीलम जैन 5.जिन खोजा तिन पाइयाँ - डॉ. राजाराम जैन प्राकृत और जैनधर्म का अध्ययन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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