Book Title: Prakrit aur Jain Dharm ka Adhyayan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 50
________________ भुवनेश्वर में खारवेल महोत्सव एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी ऋषभदेव फाउण्डेशन , नई दिल्ली तथा एड्वांस सेन्टर फॉर इण्डोलाजिकल स्टडीज , भुवनेश्वर के संयुक्त तत्वाधान में भुवनेश्वर में भ. ऋषभदेव के निर्वाणोत्सव के अवसर पर 16-18 जनवरी 1999 को एक त्रिदिवसीय खारबेल महोत्सव एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया । समारोह के मुख्य अतिथि उड़ीसा के महामहिम राज्यपाल श्री सी रंगराजन ने भारतीय संस्कृति पर जैन धर्म का व्यापक प्रभाव स्वीकारते हुए और उसे उसका अभिन्न अंग मानते हुए कहा कि उड़ीसा में उसका अत्यन्त गौरवशाली इतिहास रहा है। ईसा पूर्व दूसरी शती में सम्राट खारवेल कलिंग का एक ऐसा प्रतापशाली जैन सम्राट था जिसने प्रायः सारे भारत को एक सूत्र में बांध कर कल्याणकारी शासन की स्थापना की थी । गोष्ठी में देश भर से आये तीस से अधिक प्रख्यात विद्वानों तथा पुरातत्वविदों के शोध आलेख प्रस्तुत किये गये । इन्साइक्लोपीडिया जैनिका श्री दिगम्बर जैन सिद्धोदय रेवातट सिद्धक्षेत्र नेमावर देवास मध्य प्रदेश में 22 अप्रैल 1999 को श्री आचार्य विद्यासागर जी महाराज के संसघ सान्निध्य में सर्वोदय जैन विद्यापीठ , के तत्वाधान में संकलित होने वाले इन्साइक्लोपीडिया जैनिका · एवं जैन विद्या विश्वकोश परियोजना का शुभारम्भ एक कार्यशाला के रूप में हुआ । परियोजना के अकादमिक संयोजक एवं प्रशासक डॉ. वृषभ प्रसाद जैन , लखनऊ ने मंगलाचरण के बाद इस पूरी परियोजना के महत्व तथा अकादमिक पक्ष की जानकारी दी। आपने बताया कि यह परियोजना अन्तर्राष्ट्रीय मापदण्डों के अनुरूप होगी और हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनो भाषाओं में कोश प्रकाशित होगा । इस विश्वकोश में जैन धर्म एवं संस्कृति से सम्बन्धित प्रत्येक बिन्दु को समाहित करने का पूर्ण यत्न किया जायेगा। ENCYLOPEDIA OF JAINISM ENCYLOPEDIA OF JAINISM will have scholarly input, will be well researched and edited and will be written in simple English. It will have unbiased views from all sects of Jainism. Its Chief Editors will be Dr. Kamal Chand Sogani and each volume will have distinguished authors: प्राकृत और जैनधर्म का अध्ययन 49 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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