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धर्म के परिप्रेक्ष्य में भगवान् ऋषभदेव के जीवन-दर्शन तथ नियमसार की स्याद्वादचन्द्रिका टीका पर विद्वानों ने शोध-पत्र प्रस्तुत किये। डॉ. गोकुल चन्द्र जैन ( वाराणसी ) , डॉ. शेखर चन्द्र जैन ( अहमदाबाद ) , डॉ. भागचन्द्र भागेन्दु ( दमोह ), डॉ. श्रेयांस जैन ( बड़ौत ) , डॉ. रमेशचन्द्र जैन ( बिजनौर ) , डॉ. उदयचन्द जैन , ( उदयपुर), डॉ. कल्पना जैन ( भोपाल ) आदि अनेक विद्वान् संगोष्ठी में आमन्त्रित थे । डॉ. अनुपम जैन ( सारंगपुर ) के संयोजन में यह संगोष्ठी सार्थक रूप से सम्पन्न हुई ।
पर्यावरण संरक्षण : महावीर की दृष्टि पर गोष्ठी
महावीर इण्टरनेशनल के वार्षिक अधिवेशन के अवसर पर 30 अक्टूबर 1993 को उदयपुर में पर्यावरण संरक्षण-महावीर की दृष्टि विषय पर एक परिचर्चा आयोजित की गयी , जिसकी अध्यक्षता प्रोफेसर के. सी. सौगानी ने की । इस परिचर्चा में डॉ. प्रेम सुमन जैन ( उदयपुर ) , श्री सतीश कुमार जैन (दिल्ली). डॉ सुषमा सिंघवी ( उदयपुर ) , श्रीमान् आर. एस. कुम्मट ( जयपुर ) आदि ने भी व्याख्यान दिये परिचर्चा का निष्कर्ष था कि महावीर की अपरिग्रहवृत्ति (तृष्णाक्षय ), अहिंसा , शाकाहार एवं मानसिक शक्ति युक्त जीवनशैली से ही पर्यावरण संतुलित रह सकता है। इसी से देश की वन-सम्पदा एवं प्राणी जगत् सुरक्षित हो सकेगा ।
पर्यावरण और जैन जीवन-पद्धति संगोष्ठी
श्री अखिल भारतीय जैन विद्वत परिषद् एवं श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ जयपुर की ओर से पूज्य आचार्य श्री हीराचन्द जी महाराज सा के सान्निध्य में 22 ,23 एवं 24 अक्टूबर 1993 को जयपुर में पर्यावरण और जैन जीवन-पद्धति विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की गयी। इसका उद्घाटन उद्बोधन पूर्व कुलपति डॉ. कल्याणमल लोढ़ा ने प्रदान किया । अपभ्रंश अकादमी के निदेशक प्रो. के. सी. सौगानी ने आचारांग और वनस्पति पर व्याख्यान दिया । संगोष्ठी में सुखाड़िया विश्वविद्यालय में कला महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. प्रेम सुमन जैन , लोककलाविद् डॉ महेन्द्र भानावत , डॉ. उदयचन्द जैन , डॉ. सुषमा सिंघवी , श्री चंचलमल चौरडिया , पं. कन्हैयालाल दक आदि पचास विद्वानों ने भाग लिया । प्रोफेसर नरेन्द्र भानावत की उपस्थिति और मार्गदर्शन प्रेरणादायक रहा । समापन वक्तत्व स्वास्थ्य सचिव श्री आर. एस. कुम्मट ने प्रदान किया।
प्राकृत और जैनधर्म का अध्ययन
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