Book Title: Prakrit aur Jain Dharm ka Adhyayan
Author(s): Prem Suman Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 32
________________ चुके हैं । वर्तमान में डॉ. कल्पना जैन जूनियर नेशनल फेलोशिप प्राप्त कर रही हैं । विभाग से डॉ. मुनि श्री भुवनेश , डॉ. साध्वी राजश्री तथा डॉ. मुनिश्री कौशल ने भी पी-एच. डी. प्राप्त की है। विस्तार एवं परियोजनाएं : विभाग के स्टाफ द्वारा प्राकृत भाषा के प्रचार-प्रसार हेतु प्राकृत भाषा एवं साहित्य की महत्वपूर्ण पुस्तकें तैयार की हैं । राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड , अजमेर में "प्राकृत भाषा पाठ्यक्रम समिति " के संयोजक इस विभाग के अध्यक्ष डॉ . प्रेम सुमन जैन रहे हैं। उनके प्रयत्न से राजस्थान लोक सेवा आयोग की स्लेट परीक्षा में भी जैनालाजी एवं प्राकृत विषय का पाठ्यक्रम बनाकर सम्मिलित किया गया है । विभाग का स्टाफ राष्ट्रीय स्तर के प्रमुख प्राकृत शोध संस्थानों की स्थापना एवं संचालन में अकादमिक सहयोग प्रदान कर रहा है। जब कभी विभाग को आवश्यक स्टाफ एवं साधन प्राप्त हों तब विभाग जो शोध योजनाएं सम्पन्न करना चाहेगा उनमें प्रमुख हैं - 1. राजस्थान के ग्रन्थ-भण्डारों की प्राकृत अपभ्रंश पाण्डुलिपियों का सर्वेक्षण , सूचीकरण एवं सम्पादन , 2. प्राकृत कथा विश्वकोष का 10 भागों में सम्पादन एवं प्रकाशन , 3. जैनविद्या एवं प्राकृत में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा पाठ्यक्रम का संचालन , 4. प्राकृत साहित्य का सांस्कृतिक परिशीलन सीरीज के अन्तर्गत जनप्रिय पुस्तिकाओं का निर्माणं एवं प्रकाशन एवं 5. बौद्धधर्म अध्ययन एवं अहिंसा शोधकेन्द्र का संचालन आदि । विभाग के प्राध्यापक वर्तमान में निम्न शोधकार्य योजना में संलग्न हैं - 1. भगवती आराधना का सम्पादन एवं अनुवाद - प्रो. प्रेम सुमन जैन 2. मलयसुंदरीचरियं का आलोचनात्मक सम्पादन – डॉ. प्रेम सुमन जैन 3. पंचास्तिकाय का सम्पादन एवं अनुवाद - डॉ. उदयचन्द जैन विभाग में अ. भा. दिगम्बर जैन सिद्धान्त संरक्षिणी सभा , कोटा से प्राप्त स्थायी अनुदान से एक अपभ्रंश अनुसंधान योजना भी कार्यरत है , जिसमें सुकुमालचरिउ का सम्पादन-अनुवाद कार्य हुआ है । विभाग में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएँ भी सम्पन्न की गयी हैं। यथा प्राकृत और जैनधर्म का अध्ययन 31 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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