Book Title: Prakrit Vyakaranam Author(s): Charanvijay Publisher: Atmanand Jain Sabha View full book textPage 8
________________ तेम कर्यु छे. पाणिनि व्याकरणमा वैदिक प्रक्रिया माटे खास कोई विभाग जुदो नथी पाड्यो त्यारे सिद्धहेमना सात अध्यायमां संस्कृत व्याकरण संपूर्ण करी आठमामां केवल प्राकृत विगेरे छए भाषाना नियमोज गुंथ्या छे. श्रीमहेचंद्राचार्य महाराज प्राकृत व्याकरणनो आरंभ करतां प्रथम "अथ प्राकृतम्" आ सूत्रनी रचना करे छे. तेमज एज सूत्रनी वृत्ति करतां पोते साफ जणावे छे के "संस्कृतानन्तरं प्राकृतमुच्यते" प्रथम में संस्कृत व्याकरण सात अध्यायना अठावीश पादमा संपूर्ण कयु. हवे प्राकृत व्याकरणनी शुरुआत करु . आ सूत्रथी आपणने पुरेपुरी खात्री थाय छे के सूरिजीए सहुथी प्रथम संस्कृत व्याकरण बनाव्युं अने पछी प्राकृत व्याकरणनो आरंभ कर्यो. आ आठमा अध्यायना चार पाद छे. प्रथम द्वितीय तृतीय पादमा अने चोथा पादना २५९ सूत्र सुधी प्राकृत प्रयोगोना नियमो ज आप्या छे. २६०थी शौरसेनी भाषानो आरंभ करी २६ सूत्रोमां तेना नियमो बतावी अंते शेषं प्राकृतवत् कही २८७ सूत्रथी मागधी भाषानाPage Navigation
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