Book Title: Prakrit Hindi Vyakaran Part 02 Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain Publisher: Apbhramsa Sahitya AcademyPage 58
________________ भी किया जा सकता है। कर्ता पुल्लिंग, नपुंसकलिंग, स्त्रीलिंग में से जो भी होगा भूतकालिक कृदन्त के रूप भी उसी के अनुसार होंगे। जैसे (क) नरिंदो हसिओ/हसिदो/हसियो/हसितो = राजा हँसा। (पुल्लिंग एकवचन) (ख) कमलं विअसिअं/विअसिदं/विअसियं/विअसितं = कमल खिला। (नपुंसकलिंग एकवचन) (ग) ससा हसिआ/हसिदा/हसिया/हसिता = बहिन हँसी। (स्त्रीलिंग एकवचन) ------------------------------ ------------- विधि कृदन्त का भाववाच्य में प्रयोग-नियम (क) जब क्रिया अकर्मक होती है तो प्राकृत भाषा में विधि कृदन्त का प्रयोग भाववाच्य में किया जाता है। कर्ता में तृतीया विभक्ति (एकवचन अथवा बहुवचन) होगी। कृदन्त में सदैव ‘नपुंसकलिंग एकवचन' ही होगा। जैसे हसिअव्वं/हसिदव्वं/हसियव्वं/हसितव्वं/हसणीयं = हँसा जाना चाहिए। नोट- विधि कृदन्त कर्तृवाच्य में प्रयुक्त नहीं होता है। ---------------------------------------------- ... क्रिया का कर्मवाच्य में प्रयोग-नियम . सकर्मक क्रियाओं से कर्मवाच्य बनाने के लिए प्राकृत भाषा में 'इज्ज' और 'ईअ'/'ईय' प्रत्यय जोड़े जाते हैं। कर्ता में तृतीया विभक्ति (एकवचन अथवा बहुवचन) होगी। कर्म में द्वितीया विभक्ति (एकवचन अथवा बहुवचन) के स्थान पर प्रथमा विभक्ति (एकवचन अथवा बहुवचन) होगी। क्रिया में उपर्युक्त प्रत्यय जोड़ने के पश्चात् (प्रथमा में परिवर्तित) कर्म के अनुसार 'क्रिया' में पुरुष और वचन के प्रत्यय काल के अनुरूप जोड़ .. दिए जाते हैं। प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2) (47) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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