________________
अनियमित कर्मवाच्य के क्रिया-रूप प्राकृत में सकर्मक क्रिया में 'इज्ज', 'ईअ'/'ईय' प्रत्यय लगाकर जो रूप बनाया जाता है वह कर्मवाच्य का नियमित क्रिया-रूप कहा जाता है। जैसे- 'कर' क्रिया में 'इज्ज', 'ई'/'ईय' प्रत्यय लगाकर बनाया गया - ‘कर+इज्ज' = करिज्ज, 'ईअ'/'ईय' 'कर+'ईअ'/'ईय' = करीअ/करीय रूप कर्मवाच्य का नियमित रूप है। काल, पुरुष और वचन का प्रत्यय जोड़ने पर उस काल, पुरुष और वचन में कर्मवाच्य का नियमित क्रिया-रूप बन जायेगा। जैसे- करिज्जइ या करीअइ/करीयइ = वर्तमानकाल, अन्य पुरुष, एकवचन।
इसके विपरीत सकर्मक क्रिया में बिना इज्ज', 'ईअ'/'ईय' प्रत्यय लगाए जो रूप तैयार मिलता है, उसमें काल, पुरुष और वचन का प्रत्यय लगा रहता है, वह कर्मवाच्य का अनियमित क्रिया-रूप कहा जाता है। जैसे
कीरइ, तीरइ, जीरइ, हीरइ आदि- अनियमित कर्मवाच्य का क्रिया-रूप (वर्तमानकाल अन्य पुरुष एकवचन)।
इसमें क्रिया को अलग नहीं किया जा सकता है। इनका ज्ञान साहित्य में उपलब्ध प्रयोगों के आधार से किया जाना चाहिए। अनियमित कर्मवाच्य के कुछ क्रियारूप संग्रहीत हैं
वर्तमानकाल अन्य पुरुष एकवचन 1. चिव्वइ = इकट्ठा किया जाता है। 2. जिव्वइ = जीता जाता है। 3. सुव्वइ = सुना जाता है। 4. हुव्वइ = हवन किया जाता है। 5. थुव्वइ = स्तुति की जाती है। 6. लुव्वइ = काटा जाता है। 7. पुव्वइ = पवित्र किया जाता है।
1. . देखें 'प्राकृत अभ्यास सौरभ' अभ्यास-38
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2)
(85).
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org