Book Title: Prakrit Hindi Vyakaran Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 140
________________ सम्मति प्राकृत - हिन्दी- व्याकरण (भाग - 1) आपके द्वारा संपादित, श्रीमती शकुन्तला जैन द्वारा लिखित एवं अपभ्रंश साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित प्राकृत - हिन्दी- व्याकरण (भाग - 1 ) नामक पुस्तक जो कि आचार्य हेमचन्द्र के सूत्रों पर आधारित है, प्राप्त कर अतीव प्रसन्नता हुई। यह ग्रंथ प्राकृत व्याकरण के सूत्रों में उलझे बिना सरलतम हिन्दी भाषा में प्राकृत के व्याकरण और उसके विभिन्न स्वरूपों को समझने हेतु अत्यन्त उपयोगी है। इससे उन प्राकृत जिज्ञासु पाठकों को भी लाभ होगा, जो संस्कृत माध्यम के बिना ही सीधे प्राकृत व्याकरण समझना चाहते हैं। अतः इस ग्रंथ की विदुषी लेखिका और आपको इस अति उपयोगी ग्रंथ प्रस्तुत करने के लिये हमारी और हमारे संस्थान की ओर से हार्दिक मंगल कामनायें स्वीकृत कीजिए । वास्तव में आपने अपभ्रंश साहित्य अकादमी के माध्यम से प्राकृत और अपभ्रंश भाषा के व्यापक विकास-प्रचार-प्रसार का कार्य जबसे संभाला है तबसे इन दोनों भाषाओं के अध्ययन के प्रति सभी वर्गों में जो आकर्षण और . जागरूकता बढ़ी है, वह इस क्षेत्र में अनुपम क्रान्ति है। आपकी प्रेरणा से और आपके द्वारा और आपके मार्गर्दशन से इन विषयों के अनेक विद्वान और विदुषी तैयार होकर सामने आये हैं और निरन्तर आ रहे हैं, जिन्होंने इस विषय का उत्कृष्ट साहित्य सृजन और प्रचार-प्रसार कर इन भाषाओं के अध्ययनअध्यापन का सरलतम मार्ग प्रशस्त किया है। आप निरन्तर मौन भाव से अपनी निर्देशन एवं संपादन - डॉ. कमलचन्द सोगाणी लेखिका - श्रीमती शकुन्तला जैन Jain Education International For Personal & Private Use Only — www.jainelibrary.org

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