Book Title: Prakrit Hindi Vyakaran Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 102
________________ अनियमित संबंधक कृदन्त 1. घेत्तूण = ग्रहण करके 2. वोत्तूण = बोल करके अथवा कह करके 3. रोत्तूण = रो करके 4. भोत्तूण = खा करके अथवा भोजन करके 5. मोत्तूण = छोड़ करके अथवा त्याग करके 6. दळूण = देख करके 7. काऊण = करके 8. सोऊण = सुन करके 9. जेऊण = जीत करके 10. हन्तूण = मार करके . अनियमित हेत्वर्थक कृदन्त 1. वोत्तुं = बोलने के लिए अथवा कहने के लिए 2. घेत्तुं = ग्रहण करने के लिए 3. रोत्तुं = रोने के लिए 4. भोत्तुं = खाने के लिए अथवा भोजन करने के लिए 5. मोत्तुं = छोड़ने के लिए अथवा त्याग करने के लिए 6. दटुं = देखने के लिए 7. काउं = करने के लिए अनियमित विधि कृदन्त 1. घेत्तव्व = ग्रहण किया जाना चाहिए 2. वोत्तव्व = बोला जाना चाहिए अथवा कहा जाना चाहिए 3. रोत्तव्व = रोया जाना चाहिए 4. भोत्तव्व = खाया जाना चाहिए 5. मोत्तव्व = छोड़ा जाना चाहिए ... 6. दट्ठव्व = देखा जाना चाहिए __7. कायव्व = किया जाना चाहिए 8. हन्तव्व = मारा जाना चाहिए प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2) (91) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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