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क्रियाओं में प्रेरणार्थक प्रत्यय जोड़ने के पश्चात कालों के प्रत्यय जोड़ने से विभिन्न कालों के प्रेरणार्थक कर्मवाच्य के रूप बन जाते हैं। जैसे
वर्तमानकाल अन्य पुरुष एकवचन 3/1 (क) हसावि+इज्ज+इ आदि = हसाविज्जइ आदि (हँसाया जाता है)
हसावि+ईअ+इ आदि = हसावीअइ आदि (हँसाया जाता है) हास+इज्ज+इ आदि = हासिज्जइ आदि (हँसाया जाता है)
हास+ईअ+इ आदि = हासीअइ आदि (हँसाया जाता है) (ख) करावि+इज्ज+इ आदि = कराविज्जइ आदि (करवाया जाता है)
करावि+ईअ+इ आदि = करावीअइ आदि (करवाया जाता है) कार+इज्ज+इ आदि = कारिज्जइ आदि (करवाया जाता है) कार+ईअ+इ आदि = कारीअइ आदि (करवाया जाता है)
. भूतकाल अन्य पुरुष एकवचन 3/1 (क) हसावि+इज्ज+ईअ = हसाविज्जईअ (हँसाया गया)
हसावि+ईअ+ईअ = हसावीअईअ (हँसाया गया) हास+इज्ज+ईअ = हासिज्जईअ (हँसाया गया) हास+ईअ+ईअ = हासीअईअ (हँसाया गया) करावि+इज्ज+ईअ = कराविज्जईअ (करवाया गया) करावि+ईअ+ईअ = करावीअईअ (करवाया गया) कार+इज्ज+ईअ = कारिज्जईअ (करवाया गया) कार+ईअ+ईअ = कारीअईअ (करवाया गया)
विधि एवं आज्ञा अन्य पुरुष एकवचन 3/1 (क) हसावि+इज्ज+उ आदि = हसाविज्जउ आदि (हँसाया जावे)
हसावि+ईअ+उ आदि = हसावीअउ आदि (हँसाया जावे) 1. उपान्त्य अर्थात् क्रिया के अन्त का पूर्ववर्ती स्वर। प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2)
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