Book Title: Prakrit Hindi Vyakaran Part 02
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 70
________________ (ख) हास+अ/य/त/द = हासिअ/हासिय/हासित/हासिद (हँसाया गया) करावि+अ/य/त/द = कराविअ/कराविय/करावित/कराविद (कराया गया) कार+अ/य/त/द = कारिअ/कारिय/कारित/कारिद (कराया गया) ------------- प्रेरणार्थक वर्तमान कृदन्त (क) हसावि+अ+न्त. = हसावन्त (हँसाता हुआ) हसावि+अ+माण = हसावमाण (हँसाता हुआ) नोटः यहाँ हसावि के बाद 'अ' विकरण लगाया गया है क्योंकि प्राकृत में क्रियाओं को अकारान्त करने की प्रवृत्ति होती है। हास+न्त = हासन्त (हँसाता हुआ) हास+ माण = हासमाण (हँसाता हुआ) (ख) करावि+अ+न्त = करावन्त (करवाता हुआ) करावि+अ+माण = करावमाण (करवाता हुआ) नोटः यहाँ करावि के बाद 'अ' विकरण लगाया गया है क्योंकि प्राकृत में क्रियाओं को अकारान्त करने की प्रवृत्ति होती है। कार+न्त = कारन्त (करवाता हुआ) कार+माण = कारमाण (करवाता हुआ) - 1. प्रेरणार्थक विधि कृदन्त हसावि+अव्व = हसाविअव्व आदि (हँसाया जाना चाहिए) हसावि+यव्व = हसावियव्व आदि (हँसाया जाना चाहिए) हसावि+तव्व = हसावितव्व आदि (हँसाया जाना चाहिए) हसावि+दव्व = हसाविदव्व आदि (हँसाया जाना चाहिए) 2. हास+अव्व = हासिअव्व आदि (हँसाया जाना चाहिए) हास+यव्व = हासियव्व आदि (हँसाया जाना चाहिए) प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2) (59) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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