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3.
ठा = ठहरना
अ, ए, आव, आवे (ठा+अ) = ठाअ (ठहराना) ('अ' प्रत्यय जुड़ने पर अगर उपान्त्य' स्वर दीर्घ हो तो उसमें कोई परिवर्तन नहीं होता है) (ठा+ए) = ठाए (ठहराना) ('ए' प्रत्यय जुड़ने पर अगर उपान्त्य' स्वर दीर्घ हो तो उसमें कोई परिवर्तन नहीं होता है) (ठा+आव) = ठाव (ठहराना) (ठा+आवे) = ठावे (ठहराना)
4.
णच्च = नाचना अ, ए, आव, आवे . (णच्च+अ) = णाच्च→णच्च (नचाना) (उपान्त्य 'अ' का 'आ' होता है पर आगे संयुक्ताक्षर होने के कारण 'अ' ही रहता है) (णच्च+ए) = णाच्चे-णच्चे (नचाना) (उपान्त्य 'अ' का 'आ' होता है पर आगे संयुक्ताक्षर होने के कारण 'अ' ही रहता है) (णच्च+आव) = णच्चाव (नचाना) (णच्च+आवे) = णच्चावे (नचाना)
सकर्मक क्रिया
प्रेरणार्थक प्रत्यय कर = करना
अ, ए, आव, आवे (कर+अ) = कार (कराना) (उपान्त्य' 'अ' का 'आ' हो जाता है) (कर+ए) = कारे (कराना) (उपान्त्य 'अ' का 'आ' हो जाता है)
1.
उपान्त्य अर्थात् क्रिया के अन्त का पूर्ववर्ती स्वर।
प्राकृत-हिन्दी-व्याकरण (भाग-2)
(54)
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