Book Title: Prakarana Ratnakar Part 1
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 184
________________ प्रकरणरत्नाकर नाग पहेलो. ते बे पुरुषमां एक तो सुष्ट के हैयाना सरल खन्नावनो हतो, श्रने एक हैयानो पुष्ट हतो. पडी ते बने पुरुष नगरनी समीपज फरवा लाग्या. पठी कोई बीजा वाटमार्गुने नगरनो मारग पूबवा लाग्या, त्यारे ते कहेवा लाग्यो जे तमाळं गाम तो तमारी स मीप बे, एम कही ते बनेने मारग देखाडे, अने रुमी रीते पुर के नगरने खोज करी समजावे, पण तेमां जे सरल हैयानो डे, तेतो साचुं माने, पण पुष्ट है यानो डे ते माने नही, तेम गुरुनो उपदेश तेपण पुरुषना हैया प्रमाणे ॥३ ॥ जेम कोई श्ररएयमां वरसाद पोतानो समय पामीने खजावथी महा मेघ वरषे बे. त्यारे थांबली प्रमुख खाटा रसवाला तथा बावल प्रमुख कषाएल रसवाला, श्रने लिंबमा प्रमुख कडवा रसवाला, जाल प्रमुख नींबरसवाला, जेठीमध प्रमुख मधुर रसवाला, अने बुण प्रमुख दाररस वाला काडोमा तेर्जना गुण प्रमाणे रस वृद्धि थाय , तेम ज्ञानी श्राचार्य प्रमुख पोतानी वचन वर्गणा वचन योगे खिरे के प्रकाशे बे, ते ज्ञान- वखाण करतां पोताना अनुजव रसमां जमग थई रह्या बे, पण ते वखते कोई योग्य अयोग्य श्रोतानी परीक्षा करता नथी, परी ते श्रोता पुरुषोमां ते ज्ञाननी ध्वनि सांजलीने कोई तेनी वाणीने ग्रहे , कोई सुई र हेडे, कोई निषा करे , कोई मिथ्याष्टिने विषादपण थाय बे, अने कोई सम्यग् दृष्टि हर्ष पण पामे डे ॥३३॥ माटे गुरुनो उपदेश करे? श्रा संसारी लोक फु राराध्य , समजाववा करण डे, जे संसारना उदरमा पांच प्रकारनी श्रमावाला जीवो बे, ते सदा वसीज रह्या बे. ॥ ३४ ॥ हवे पांच प्रकारना जीवनां नाम कहे बे-अथ पंच प्रकार यथाः॥ दोहराः ॥-डूंघा प्रजु चुंघा चतुर, सूंघा रोचक सुझ, जंघा उरबुद्धी विकल बूंधा घोर अबुझ ॥ ३५ ॥ अर्थः-एक तो डुंघा तेतो प्रनु स्वामी जे; बीजा चुंघा के चतुर बे; त्रीजा सुं घा के रुचिवंत ; चोथो उंघाके इष्ट उर्बुधिबे, अने विकल जे पाचमा धूंधा के घोर कुबुधि ॥ ३५॥ हवे इंघानुं लदण कहे जेः-अथ इंघा यथाः॥ दोहराः ॥-जाकी परम दशाविषे; करम कलंक न हो; इंघा अगम अगाध पद, वचन श्रगोचर सोश ॥ ३६ ॥ अर्थः-जेनी उत्कृष्ट दशा वर्णवेली बे, जेमां कोई कर्मरूप कलंक देखाय नही, एवं जे अगम तथा अगाध पद , एटले सिक पद जे जे वचननो विषय थई शके नही तेने डूंघा कहिये. ॥ ३६ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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