Book Title: Prakarana Ratnakar Part 1
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 203
________________ श्री समयसारनाटक ७७३ अर्थः- सत्यमां जेनी प्रतीत बे, जे साचानेज सर्ददेबे, एवी जेनी व्यवस्था अने दिवसे दिवसे वधती वधती दमा निर्लोजता प्रमुख समतानी रीत जे ग्रहण करेबे. एवं सत्य कार्य पहेला कंदी न कयुं, तेथी दवे क्षण क्षणमां सत्यनी साको के० जे करेबे, ते जावनुं नाम सम्यक्त्व कहीए ॥ ६०० ॥ ० महा कार्य वे सम्यक्त्वनी उत्पत्ति कहे :- अथ उत्पत्ति यथा:॥ दोदराः ॥ - केतो सहज सुनाको, उपदेशे गुरु कोइ; चिहुँ गतिसेती जीवकों, सम्यक दरशन हो, ॥ १ ॥ अर्थः- नदीने किनारे उजा पाणीना कल्लोल यावता जाताना न्यायथी एटले सरिडुपल घोलना न्यायथी कोइने सहज स्वजावमांज समकित उपजे, कोईने गुरुना उपदेश थकी सम्यक्त्व उपजे. जे जीव चारे गतिमां शयन निद्रा करी रह्यो तो तेने जे सम्यक्त्व उपजे बे, ते एवा एवा प्रकारथी उपजेबे ॥ १ ॥ हवे जेथी सम्यक्त्व उपज्युं जाणीए ते सम्यक्त्वनां लक्षण कहे बेः - अथ लखन यथा:|| दोहराः ॥ - श्रापा पर परचेविषे, उपजे नहिं संदेह; सहज प्रपंच रहित दशा, समकित लक्षण एड् ॥ २ ॥ अर्थः- आत्मा ने आत्माथी बीजां जे कर्मादिकना पुल बे, एटले बीजा पांचे द्रव्य तेना परिचय प्रतीतिमां, संदेह उपजे नहीं अने सहज खजावमां श्रात्मदशा ते माया प्रपंच रहितथाय ए सम्यक्त्वनां लक्षण कहिये ॥ २ ॥ हवे सम्यक्त्वना गुण कवेः - श्रथ गुन यथा: ॥ दोहराः ॥ - करुना वबल सुजनता, श्रातमनिंदा पाठ; समता जगति विरागता, धरम राग गुन आठ ॥ ३ ॥ अर्थः:- दया तथा सर्वनुं हित वांढक पणु, सर्व साथे मैत्री नाव राखवो, आत्मनिं दानुं पठन कर, इष्ट अनिष्ट उपर समजावे रहेतुं, देव गुरुनी जक्ति, वैरागरसमांज निज्या थका रहेवुं, धर्मश्री राग राखवो. ए सम्यक्त्वना आठ गुण बे ॥ ३ ॥ हवे सम्यक्त्वनां पांच भूषण कहै बे:-अथ पंच भूषण यथा: ॥ दोहराः ॥ - चित प्रजावना जावजुत, हेय उपादेयवानि; धीरज हरष प्रवीनता भूषन पंच बखानि ॥ ४ ॥ अर्थ :- चित के० ज्ञान एटले जिन शासननो जेवी रीते प्रजाव वधे तेवा जावमां रहेतुं, हेय उपादेयना ज्ञानवंत यई धैर्यमां रहेवुं, सम्यक्त्वपामीने दर्ष राखवो, तत्त्व वि चारमां प्रवीणता राखवी, ए पांच सम्यक्त्वनां भूषण वखाणिए ॥ ५ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only * www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228