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कर्ता : श्री पूज्य नयविजयजी महाराज - श्री श्रेयांस-जिणंदजी ! अवधारो अरदास लाल रे दास करी जो लेखवो, तो पूरो मन-आश-लाल-रे श्री०(१) मोटा-नाना आंतरुं, लेख नहि दातार-लाल रे सम-विषम स्थल नवि गणे, वरसंतो जलधार-लाल-रे श्री०(२) नानाने मोटा मिल्या, सही ते मोटा थाय-लाल रे वाहुलीया गंगा मिल्या, गंगप्रवाह कहाय-लाल-रे श्री०(३) मोटाने मोटा करो, ए तो जगतणी रीत-लाल रे नाना जो मोटा करो, तो तुम्ह प्रेम-प्रतीत-लाल-रे श्री० (४) गुण अवगुण नवि लेखवे, अंगीकृत जे अमंद-लाल रे कुटिल कलंकी जिम वह्यो, ईश्वर शिशे चंद-लाल-रे श्री0 (9) अवगुणीये पण ओलग्यो, गुणवंत तुं भगवंत-लाल रे निज-सेवक जाणी करी, दीजे सुख अनंत-लाल-रे श्री०(६) घणी शी विनंती कीजीये ? जगजीवन जिननाह-लाल रे नयविजय कहे कीजीए, अंगीकृत-निरवाह-लाल-रे श्री०(७)
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