Book Title: Prachin Stavanavali
Author(s): Hasmukh Chudgar
Publisher: Hasmukh Chudgar
View full book text
________________
आज महारा प्रभुजी सहामुं जुओने - श्री पूज्य ज्ञानविमलजी महाराज -४ आज महारा प्रभुजी स्हामुं जुओने, सेवक कहीने बोलावो रे; एटले हुं मनगमतुं पाम्यो, रूठडां बाल मनावो. मोरा सांईरे.
आज ०१
पतित पावन शरणागत वच्छल, ए जश जगमां चावी रे; मन मनाव्याविण नवि मूकुं, एहिज माहरो दावो. मो.
आज०२
1
कबजे आत्या स्वामी हवे नहि छोडुं जिहां लगे तुम सम थावो रे; जो तुम ध्यान विना शिव लहीए, तेही ज दाव बतावो . मो.
महा गोप ने महानिर्यामक, एवा एवा बिरुद धरावी रे; तो आश्रित उदरता, घणुं घणुं शुं कहेवरावी. मो.
ज्ञानविमल गुरुनो निधि महिमा, मंगल एहि वधावो रे; अचल अभेदपणे अवलंबी, अहनिश एहि दिल घ्यावी मो.
आज०३
आज ०४
आज०५
309

Page Navigation
1 ... 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384