Book Title: Prachin Stavanavali
Author(s): Hasmukh Chudgar
Publisher: Hasmukh Chudgar

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Page 380
________________ अंतिम भावना : आटलं तो आपजे भगवान मने छेल्ली घडी, ना रहे माया तणां बंधन मने छेल्ली घडी... १ आ जिंदगी मोंघी मळी पण जीवनमां जाग्यो नहीं, जागृतपणे मनमां रहे तारुं स्मरण छेल्ली घडी....२ अंगो बधां ढीलां पडे ने श्वास छेल्लो संचरे, तुं आपजे शांतिभरी निद्रा मने छेल्ली घडी... ३ अगणित पापो में कर्या तन मन वचन योगे करी, हे क्षमासिंधु । आपजे क्षमा मने छेल्ली घडी... ४ ज्यारे मरण शय्या तळे मिंचाय छेल्ली आंखडी, हे दयासिंधु ! आपजे दरशन मने छेल्ली घडी.... हे दयासिंधु ! आपजे दरशन मने छेल्ली घडी...७ ३२२

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