Book Title: Prachin Stavanavali
Author(s): Hasmukh Chudgar
Publisher: Hasmukh Chudgar

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Page 364
________________ काम सुभट गयो हारी रे, थासुं काम - श्री पूज्य नयविमलजी महाराज - 10 काम सुभट गयो हारी रे, थासुं काम सुभट गयो हारी; रतिपति आण वहे सौ सुरनर, हरिहर ब्रह्म मुरारि, थासुं०१ गोपीनाथ विगोपित कीनो, हर अर्धांगत नारी रे, थासुं०२ तेह अनंग कीयो चकचूरण, ए अतिशय तुज भारी रे, थांसु०३ ते साचुं जिम नीर प्रभावे, अग्नि होत सवि छारी रे. थासुं०४ ते वडवानल प्रबल जब प्रगटे, तब पीवत सवि वारि रे. थासुं०५ एणी परे ते दहवट अति कीनो, विषय अरति रति वारीरे. थासुं०६ नयविमल प्रभु तुंही निरागी, मोटा महाब्रह्मचारी रे. थासुं०७ 30८

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