Book Title: Prabhanjan Charitra Author(s): Ghanshyamdas Jain Publisher: Mulchand Jain View full book textPage 2
________________ अशुद्ध वर्द्धमान कामदेव कहाँ जावराय वनवावें कम्भ-क्रीड़ा दोनों और पुत्रको उसका सबुद्धे ! प्रयत्न मान इस पंचमीत्रत पूर्व भवमें शुद्धाशुद्ध-पत्र | शुद्ध वर्द्धन कामदेवकी कामदेव कहाँ उनका १६ लावण्य १९ वनवा देवें २० काम-क्रीड़ा २४ दोनों जार और पुत्रको २४ २६ २७ ३२ सद्बुद्धे ! प्रयत्नशील पृष्ठ पान पर इस पंचमीत्रत पूर्व भवके १ ३९ ४० ४० पंक्ति १० १५ or २१ १५ १९ १० १ ११Page Navigation
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