Book Title: Parshvanath
Author(s): Chauthmal Maharaj
Publisher: Gangadevi Jain Delhi

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Page 6
________________ पार्श्वनाथ यदि हम उनके पूर्वजन्मों के वर्णन के साथ-साथ वर्तमान जन्म का वर्णन पढ़ेगे तो यह सोचेगे कि-वाह ? तीर्थंकर भले ही इस जन्म मे असाधारण और अलौकिक शक्तियो से संपन्न है किन्तु पहले तो हम सरीखे ही थे । हम स्वयं उनकी-सी साधना करके उन शक्तियों के स्वामी बन सकते है। इस प्रकार की मनोवृत्ति से ससारी जीव भी उनके चरित का अनुकरण कर सकेगा । अतः पूर्व जन्मों का विवरण देने से ही महापुरुषों का जीवन अनुकरणीय हो सकता है । ___ पूर्व जन्मों के विवरण का तीसरा प्रयोजन सैद्धान्तिक है । अनेक मतावलम्बियो ने परमात्मा को एक और अनादि स्वीकार किया है। उनके मत के अनुसार साधारण जीवात्मा, परमात्म पद का कदापि अधिकारी नहीं है। उनकी इस धारणा को भ्रान्त सिद्ध करने के लिए यह बतलाना आवश्यक समझा गया कि जो जीव कुछ भव पहले इतर संसारी प्राणियों के समान साधारण था वही याज शने. शनै परमात्मा बन गया है। इसी प्रकार हम भी इस पद को प्राप्त कर सकते हैं। उहिसित पंक्तियों से यह स्पष्ट है कि महापुरुपो का अविकल परिपा नावना जीवन अंकित करने के लिए उनके पर्व भवा का वर्णन अवर करना चाहिए । अतएव हम भी पहले भगवान् पानाथ पर्व भवो का ननित दिग्दर्शन कराएंगे और अन्त मे उन तीवार जीवन को अकित करने का प्रयास करेंगे।

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