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पंडित सुखलालजी प्रकाशक : गुजरात विद्यापीठ, अहमदावाद ।
(छठे भागका अंग्रेजी अनुवाद सन् १९४० में जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक कान्फरन्सकी ओरसे प्रकट हुआ है ।)
(१०) जैन दृष्टिए ब्रह्मचर्यविचार-गुजरातीमें, पंडित वेचरदासजीके सहयोगसे, प्रकाशक उपर्युक्त ।।
(११) तत्त्वार्थसूत्र-उमास्वति वाचक कृत संस्कृत; सार, विवेचन, विस्तृत प्रस्तावना युक्त; गुजराती और हिन्दीमें; सन् १९३० में । गुजरातीके प्रकाशक : गुजरात विद्यापीठ, अहमदावाद, तीन आवृत्तियाँ ।
हिन्दी प्रथम आवृत्तिके प्रकाशक : श्री० आत्मानंद जन्म शताब्दी स्मारक समिति, वम्बई; दूसरी आवृत्तिके प्रकाशक : जैन संस्कृति संशोधक मंडल, वनारस ।
(१२) न्यायावतार - सिद्धसेन दिवाकर कृत; मूल संस्कृत; अनुवाद, विवेचन, प्रस्तावना युक्त; सन् १९२५; जैन साहित्य संशोधक में प्रकट हुआ है।
(१३) प्रमाणमीमांसा-हेमचंद्राचार्य कृत; मूल संस्कृत; हिन्दी प्रस्तावना तथा टिप्पण युक्तः सन् १९३९, प्रकाशक : सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई ।
(१४) जैनतर्कभाषा- उपाध्याय यशोविजयजी कृत; मूल संस्कृत; संस्कृत टिप्पणयुक्त, हिन्दी प्रस्तावना; सन् १९४०; प्रकाशक उपर्युक्त ।।
(१५) हेतुर्विदु-चौद्ध न्यायका संस्कृत ग्रन्थ; धर्मकीर्ति कृत; टीकाकार अर्चट, अनुटीकाकार दुर्वेक मिश्र, अंग्रेजी प्रस्तावना युक्त; सन् १९४९; प्रकाशक : गायकवाड ओरिएण्टल सिरीज़, वड़ौदा ।
(१६) ज्ञानबिंदु-उपाध्याय यशोविजयजी कृत; मूल संस्कृत; हिन्दी प्रस्तावना तथा संस्कृत टिप्पण युक्त; सन् १९४९; प्रकाशक : सिंघी जैन ग्रन्थमाला, वम्बई ।
(१७) तत्त्वोपप्लवसिंह-जयराशि कृत; चार्वाक परम्पराका संस्कृत ग्रन्थ; अंग्रेजी प्रस्तावना युक्तः सन् १९४०; प्रकाशक : गायकवाड़ ओरिएण्टल सिरीज, बड़ौदा । - (१८) वेदवादद्वात्रिंशिका-सिद्धसेन दिवाकर . कृत; संस्कृत; गुजरातीमें सार, विवेचन, प्रस्तावना; सन् १९४६; प्रकाशक : भारतीय विद्याभवन, वम्बई । (यह ग्रन्थ हिन्दीमें भी प्रकाशित हुआ है।)