Book Title: Panchamrutabhishek Path Author(s): Zaveri Chandmal Jodhkaran Gadiya Publisher: Zaveri Chandmal Jodhkaran Gadiya View full book textPage 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकाशकके दो शत. पाठकगण ! मैं आपको यह वात बता देना चाहता हूं कि यह पंचामृताभिषेकपाठ क्यों छपाया गया । इसका कारण यह है कि पहले श्री गुलालवा के अपने मंदिरमें हस्तलिखित अभिषेक पाठकी कापी कराके एक पुस्तक हमने प्रकाशित कराई थी । परन्तु अपने माननीय पंडित इन्द्रलालजी शास्त्री जयपुर, पं. वर्द्धमानजी शास्त्री शोलापुर, पं. तनसुखलालजी काला आदि विद्वानोंने कहा कि यह अभिषेक पाठ बहुत ही अशुद्ध है । आप इसका संशोधन कराकर मंत्रोंसहित लिखाईये और फिर उससे अभिषेक कराईये । इन विद्वानोंकी इसी बातको लक्ष्यमें रखकर हमने भाई जवरलालजी गांधी रतलामवालोंकी सहायतासे ग्रंथोंका संग्रह किया, हमारे भाग्यसे उसी अवसरपर सैलानासे भाई प्यारेलाल पन्नालालजी कोठडिया बम्बईमें पधारे । यद्यपि भाई प्यारेलालकी अवस्था छोटी ही है, तथापि उन्होंने अपनी विद्वत्ता तथा जानकारी बहुत अच्छी प्राप्त कर ली है, इसलिये हम उन्हें धन्यवाद देते हैं। उन्होंने अपना अमूल्य समय देकर उन संग्रह किये हुए ग्रन्थोंमेले यथास्थान मंत्रों का संग्रह करवा दिया और संशोधन करवा कर तथा लिखकर यह आभिषेकपाठ तैयार कराया। तदनंतर स्वर्गीय पंडित उलफतरायजी भिंडवालोंसे भी इसका संशोधन कराया । उन दिनों पंडितजी बीमार थे । तथापि उन्होंने धर्मप्रेमसे केवल धर्मके प्रचारके लिये संशोधन कर हमें दिया । इसके लिये हम व समाज उनकी आभारी है। तदनन्तर पूज्य भट्टारकजी श्री यशःकीर्तिजी और पण्डित रामचंद्र ने इसे पढकर अत्यंत प्रसन्नता प्रकट की तथा जनताको शीघ्र ही देनेके लिये, शीघ्र ही प्रकाशित करनेकी अनु For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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