Book Title: Panchamrutabhishek Path
Author(s): Zaveri Chandmal Jodhkaran Gadiya
Publisher: Zaveri Chandmal Jodhkaran Gadiya
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( अभिषेक के लिये प्रतिमाजीको अर्घ चढाना ) उदकचन्दनतंदुलपुप्पकैश्चरुसुदीपसुधूपफलार्यकैः । धवलमंगलगानरवाकुले, जिनगृहे जिननाथमहं यजे ॥१३॥
ओं ही परमब्रह्मणेऽनन्तानन्तज्ञानशक्तये अष्टादशदोषरहिताय षट्चत्वारिंशद्गुणसहिताय अर्हत्परमेष्टिने अनर्थ्यपदप्राप्तयेअर्घ निर्वपामीति स्वाहा ॥ १३ ॥
( बिम्बस्थापना) यः पांडुकामलशिलागतमादिदेव मस्नापयन सुरवरा सुरशैलमूर्ध्नि कल्याणमीप्सुरहमक्षततोयपुष्पैः
संभावयामि पुर एव तदोयबिम्बम् ॥ १४ ॥ ओं हीं श्रीं क्लीं ऐं अर्ह श्रीवणे प्रतिमास्थापनं करोमि स्वाहा ।।
(मुद्रिकास्वीकार) प्रत्युतनालकुलिशोपलपद्मराग--- निर्यकरपकरबद्धसुरेन्द्रचापम् । जैनाभिषेकसमयेऽङ्गुलिपर्वमूले ।
रत्नाड्गुलीयकमहं विनिवेशयामि ।। १५ ।। ओं ही श्रीं श्रीं ऐं अहं असि आ उ साय नमः मुद्रिकाधारणं ॥
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