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वह सुलोचना अनेक रत्नमय प्रातमावोंको निर्माण कराकर एवं उनकी पूजाके लिए रत्नमय उपकरणों को भी कराती थीं। तदनंतर उनकी प्रतिष्ठा कराकर महापूजा अभिषेक बार २ करती हुई भक्तिपूर्वक भगवंतकी स्तुति करती महामुनियों को पात्रदान भी देती थी।
(३) पद्मपुराणमें सुलोचनाने अष्टान्हिकापर्वमें महाभिषेक पूजा कर राजदरबारमें स्थित अकंपन राजाको शेष पुष्पाक्षतको देनेका उल्लेख मिलता है।
(५) कुछ लोग कहते हैं कि देवेंद्रने अभिषेक किया | इंद्राणीने तो नहीं किया। फिर स्त्रियां आभषेक क्यों करे । उनके समाधानके लिए इंद्राणीने जो अभिषेक किया वह भी प्रमाण उद्धृत्त किये जाते हैं।
गंधैः सुगंधिभिःसांदरिंद्राणी गात्रमीशितुः। __ अवलिंपं च लिंपद्भिरिवामादेत्रिविष्ठपम् ॥
इंद्राणीने भगवानके शरीरको सुगंधित गंधके द्वारा लेपन किया, मानों वह तीन लोकको ही सुगधद्रव्यसे लेपन कर रही हो, अर्थात उस सुगंधसे तीन लोक व्याप्त हुआ।
इंद्राणिप्रमुखा देव्याः सद्वर्णैरवलेपनैः । चक्रुः उद्वर्तनं भक्त्या करैः कोमलपल्लवैः । महीधमिव तं नाथं घटै लघरिव ।
अभिषिच्य समारब्धा इत्यादि । पद्मपुराणमें पर्व ३ में देखियेगा।
अर्थात् इंद्राणि ही जिनमें प्रमुख हैं ऐसी देवांगनाओंने अपने कोमल हस्तपल्लवोंसे भगवंतके शरीरपर चंदनलेपन किया । और इसी प्रकार बहुत बडे २ कलशोंसे महाभिषेक किया ।
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