Book Title: Panchamrutabhishek Path
Author(s): Zaveri Chandmal Jodhkaran Gadiya
Publisher: Zaveri Chandmal Jodhkaran Gadiya
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ओं नमो परमशान्ताय शान्तिफराय पवित्रीकृताय अहं रत्नत्रयम्वरूपं यज्ञोपवीतं धारयामि मम गात्रं पवित्रं भवतु ही नमः स्वाहा ।
( तिलक लगाने का श्लोक. ) सौगंध्यसंगतमधुव्रतझङ्कृतेन, संवर्ण्यमानमिव गंधमनियमादौ । आरोपयामि विसुधेश्वरवृन्दवन्यपादारविंदमभिध जिनोत्तमानाम् ॥३॥
(भूमिप्रक्षालनका श्लोक) ये संति केचिदिह दिव्यकुलप्रसूता, नागा प्रभूतबलदर्पयुता भुवोधाः । संरक्षणार्थममृतेन शुभेन तेषां, प्रक्षालगामि पुरतः स्नानस्य भूमिम् ॥४॥ ओं ही जलेन भूमिशुद्धिं करोमि स्वाहा ॥
(पीठप्रक्षालनका श्लोक) क्षीरार्णवस्य पयसां शुचिभिः प्रवाहैः, प्रक्षालितं सुरवरैर्यदनेकवारम् । अत्युद्यमुद्यतमहं जिनपादपीठं,
प्रक्षालयामि भवसंभवतापहारि ॥ ५॥
ओं हां ही हू द्धः नमोऽईते भगवते श्रीमते पवित्रतर. जलेन पाठप्रक्षालनं करोमि स्वाहा ॥५॥
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