Book Title: Panchamrutabhishek Path
Author(s): Zaveri Chandmal Jodhkaran Gadiya
Publisher: Zaveri Chandmal Jodhkaran Gadiya

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir --- [५]( पीठपर श्रीकारलेखन ) श्रीशारदासुमुखनिर्गतबीजवर्ण श्रीमंगलीकवरसर्वजनस्य नित्यं । श्रीमत्स्वयं ज्ञपति तस्य विनाशविघ्नं । श्रीकारवर्णलिखितं जिनभदपीठे ॥ ६ ॥ ओं ह्रीं श्रीकारलेखनं करोमि स्वाहा ॥ ६ ॥ ( अग्निप्रज्वालनक्रिया) दुरन्तमोहसन्तानकान्तारदइनक्षमम् । दर्भ प्रज्वालयाम्यग्निं ज्वालापल्लविताम्बरम् ॥ ७॥ ओं ही अग्निप्रज्वालयामि स्वाहा ॥ ७ ॥ ( दशदिक्पालक आव्हान ) इन्द्राग्निदंडधरनैऋतपाशपाणि । वायूत्तरेण शशिमौलिफणींद्रचन्द्राः । आगत्य यूयमिह सानुचराः सचिन्हाः। स्वं स्वं प्रतीच्छत बलिं जिनपाभिषेके ॥ ८॥ ( दशदिक्पालक मंत्र ) ओं आं क्रौं ही इन्द्र आगच्छ आगच्छ इन्द्राय स्वाहा ॥१॥ ओं आं क्रौं ही अग्ने आगच्छ आगच्छ अग्नये स्वाहा ॥ २ ॥ ओं आं क्रौँ ही यम आगच्छ आगच्छ यमाय स्वाहा ॥ ३ ॥ For Private and Personal Use Only

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