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(८)
-= सम्मतियां - (स्वर्गीय) श्री पं. उल्फतरायजी भिंडवाले प्रत्येक श्रावकको प्रतिदिन भक्तिपूर्वक भगवानका अभिषेक करना चाहिये और वह पूर्ण विधिके साथ होना चाहिये । इस पुस्तकमें पंचामृताभिषेककी क्रिया विधिपूर्वक विस्तारके साथ दी है। मतः इससे सर्व भाइयोंको लाभ लेना चाहिये ।
(पूज्य ) भट्टारक श्री यश कीर्तिजी महाराज पंचामृताभिषेकका महत्त्व अत्यंत महान् है। अतः इसे भाक्तिके साथ प्रतिदिन करना चाहिये । इस पुस्तकमें विस्तारके साथ धुर्ण विधि लिखी गई है तथा शान्तिमंत्र भी दिया गया है। अतः यह पुस्तक बढी उपयोगी है। आशा है यह शीघ्र ही प्रकाशित होकर भक्तजन इससे लाभ उठायेंगे ।
श्री पं: माणिकचन्द काला बम्बई इन्द्रने जिस भाक्तिके साथ एक हजार आठ कलशोंसे भगवानका किया था उस भक्तिका दिग्दर्शन पंचामृताभिषेक करते हुये हमें होता है। भगवानका ऐसा . अभिषेक. पापोंका क्षय और पुण्यकी वद्धि करनेवाला है। अतः किसी पक्षपातमें न पडकर इस आगमोक्त क्रियाको विधिविधानके साथ प्रतिदिन करना चाहिये । भाई चांदमलजी गडियाने इसे प्रकाशित कर अर्थको सार्थक किया है।
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