Book Title: Paia Pacchuso
Author(s): Vimalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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१०९
पाइयपच्चूसो
धम्मत्थिकायं य अहम्म(त्थि) कायं, सरीरहीणं इर जीवकायं । आगासरूवं इर अत्थिकायं, तं" पोग्गलं भो ! परमाणुरूवं ॥११६ ॥ सदं य गंधं पवणं य जिणं तं, इहं हुविस्सेइ य आयईए । अंतं कुणिस्सइ जो दुहस्स, मुणेइ णो तं छउमत्थमच्चो ॥११७ ॥ सोऊण केसिस्स य जुत्तिपुव्वं, वयं पुणो पुच्छइ भूवई णं । जीवो सरिच्छो य हुवेइ किं य, गयस्स कुंथुस्स सया य दोण्हं ॥११८ ॥ साहेइ 'आम' त्ति तयाणि केसी, पुणो य पुच्छेइ णिवो य इत्थं । किं अप्पकम्मो किरियांअ अप्पो, तणू य कंती णणु अप्पड्डी ॥११९ ॥ ऊसासनीसासतणू हुवेइ, गयेण कुंथू इर अप्पभोई । साहेइ 'आम' त्ति तयाणि केसी, पुणो य पुच्छेइ णिवो य इत्थं ॥१२० ॥ किं कुंथुणा होइ गयो य लोए, अनप्पकम्मो य अनप्पकंती । ऊसासनीसासवहुत्तरूवो, अनप्पइड्ढी य अनप्पभोई ॥१२१ ॥ होज्जा गुरू किं किरियासु तेण, णिसम्म भूवस्स इमं य ,पण्हं । साहेइ 'आम' त्ति समणो य केसी, चवेइ भूवो य तयाणि तं य ॥१२२ ॥ दोसुं जया अत्थि य अंतरं य, तहा कहं होइ समो य जीवो । सोऊण इत्थं णिवइस्स पण्हं, कहेइ केसी वयणं इणं य ॥१२३ ।। रक्खेज्ज चे कूडगिहस्स मज्झे, णरो पईवं जइ को कयाइ । भासेज्ज पुण्णं इर कूडगेहं, परं पगासेइ ण बाहिरं सो ॥१२४ ।। एगं य वत्थं जइ तस्स उन्भं, पिहेज्ज भासेइ तयाणि तं य । भासेइ णाई इर कूडगेहं, बहूहि वत्थूहि तहेव छन्नो ॥१२५ ।। कम्मोदएणं य लहुं महं वा, वउं य बंधेइ य जारिसं य । जीवस्स तस्सि सयला पएसा, समाहिआ होति तयाणि राय ! ॥१२६ ।। एअं कुणेज्जा णणु पच्चअं तं, तणूअ जीवो इर अत्थि भिन्नो । सोऊण केसिस्स य जुत्तिपुव्वं, वयं तयाणिं णिवई चवेइ ॥१२७ ।। साहेइ सम्म सयलं भवं य, परं कहं हं स-मयं चएज्जा । एगागिणो मज्झ मयं इणं णो, परंपराए य कुलस्स आअं ॥१२८ ।।
(२७) तं वाक्योपन्यासे ।
(२८) दीप्येत् । (२९) आगतम् ।
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