Book Title: Paia Pacchuso
Author(s): Vimalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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११७
पाइयपच्चूसो
चउत्थो सग्गो सोऊण' सूरियाभदेवस्स, पुव्वं भवं पेरणप्पयं य । पुच्छेइ वीरं आयईए, भवं तयाणिं तस्स गोयमो ॥१॥ भोत्तूण देवायुं चइऊण, तओ कुह उववज्जिहिइ एसो । सोच्चाणं गोयमस्स पण्हं, साहेइ विहू तयाणि इत्थं ॥२॥ अयं चइऊण देवलोगा उ, जम्मिहिइ महाविदेहवासे । कुले धण-धण्णाइपडिपुण्णे, दासदासीपसुसंकुलम्मि ॥३॥ जया अयं आगमिहिइ गब्भे, माया पिया य होहिइ तस्स । रया तया जिणकहिए धम्मे, धम्मे रई हुवेइ सुदइवा ॥४॥ पच्छा जम्मस्स पियरा तस्स, चवेहिंति समाहूय सयणा । जया अयं समागओ गब्भे, तया भे' धम्मरया य जाया ॥५॥ अओ अस्स बालगस्स णामो, 'दढपइण्ण' त्ति इयाणि होज्जा । सव्वे पडिसुणिहिंति तयाणिं, 'दढपइण्ण' त्ति से सुहणामं ॥६॥ पंच धाई तयाणिं कुसला, पालेउं रक्खिहिंति पियरा । ताणं सुसंरक्खणम्मि सो य, वड्ढिहिइ तया सणि सणिअं ॥७॥ जया सो अट्ठवरिसो होहिइ, तया पढिउं गुरूणं पासे । पेसिहिति पियरा य सुदक्खा, गीअं णाणं तइयं णेत्तं ॥८॥ पढिहिइ सो गुरूणं समीवे, विणएण बावत्तरिकलाओ । विणीओ चेअ लहिउं सक्को, गुरूणं पासे सया णाणं ॥९॥ जया होहिइ उवयामजुग्गो, पियरा से उव्वाहं काउं । कुणिहिंति तया पउरं चेटुं, परं सो अण काहिइ विवाहं ॥१०॥ णाऊण अणिच्चं णरजीअं, णाऊण सत्थमया मणुस्सा । णाऊण दुहप्पया य भोगा, णाऊण दुल्लहं णरजीअं ॥११॥ णेउं सो जीविअस्स सारं, लद्धं अव्वाबाहं सायं । काउं कयकम्माणं णासं, गेण्हिहिइ तयाणि पव्वज्जं ॥१२॥
- (जुग्ग)
१. पज्झटिका छंद (लक्षण-इसके प्रत्येक चरण में १६ मात्राएं होती है)। २. वयम् ।
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