Book Title: Paia Pacchuso
Author(s): Vimalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 170
________________ सद्दसूई १५० पण्हो - पुक्कलं पइण्णा पउरो - पउत्तिं पद्मो प्रश्न बहत प्रतिज्ञा पुरवासी जन प्रवृत्ति को प्रथम - स्वीकार करूंगा प्रतिज्ञा करो स्वीकार करता है अर्पित करके अर्पित करता हूं नारकीय जीव परस्पर में समर्थ होता है बहुत पडिजाणिहामि - पडिजाणेज्ज - पडिसुणेइ पणामिऊण - पणामेमि परेआ - परोप्परे पारेइ पाहुडं पासिद्धिं - पिसुणेइ पुढमो - पुरिमं पेरंतं वाउलो प्रसिद्धि को कहता है रुच्चस्स - पति के लुक्को - रूग्ण लुट्टिउं - लूटने के लिए वज्जरेमि - कहता हूं वम्फेइ - चाहता है विण्णपुरिसेहिं - विज्ञ पुरुषों के द्वारा वइरं - वैर वईओ बीत गया वएज्ज चलें वहुत्ता - - व्याकुल वाहाण - घोड़ों का विअणा - वेदना विढवेउकामा - अर्जित करने के इच्छुक विवहं - भार को विहीरेइ - प्रतीक्षा करता है विहूणो - रहित बुंदारयपरियरेहि - देव परिवार से संतणं सान्त्वना को संथवं परिचय संथुअं - परिचय एक बार स्मृति सण्हाअ दिट्ठीअ- सूक्ष्म दृष्टि से साथ समं श्रम समयण्णू समयज्ञ सयराहं शीघ्र सहा - समर्थ साही वृक्ष साहेइ कहता है पवित्र सोमाला सुकुमाल (स्त्री) हक्केइ - निषेध करता है हलुअं हल्का,लघु हियया हितकारी हियं हृदय फंदेइ सइ सई बलिउट्ठाण बाहिं बाहिरं बुज्झा बोलेइ - प्रथम पहले पर्यन्त स्पन्दन करता है कौवों का बाहर बाहर जानकर बीतता है मानकर . मलिन मलिनता को मृत्यु का माना चाहता है मत सीमा व्यर्थ सम मत्ता मइलं मइलत्तं मईअ मयं - मेरा मोरउल्ला रिक्कं रिओइ रिक्त प्रवेश करता है

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