Book Title: Paia Pacchuso
Author(s): Vimalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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१२९
पाइयपच्चूसो
णासिआ-छिद्देसु दुवे, वेण्णि खु अहेसि हिअय-धमणीए य । गब्भा तस्स सरीरे, वाही जाया भस्सणामा ॥२४॥ जं खाअइ तं खिप्पं, परिणमेइ पूअ-रुहिरेसुं तया । पवहेइ पूअ-रुहिरं, तं णालीए य पुणो पुणो ॥२५॥ सो हु तं पूअ-रुहिरं, भस्सवाहिपीलिओ य भक्खेइ । कम्माण विचित्तठिई, अण जाणेइ को वि माणवो ॥२६॥ . इत्थं खु वत्तमाणो सो, भोएइ णिअ-कयकम्माण भोगं । दुहं सुहं य अत्थ णरो, लहेइ कयकम्माणुरूवं ॥२७॥
इइ पढमो सग्गो समत्तो

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