Book Title: Paia Pacchuso
Author(s): Vimalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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पाइयपच्चूसो
॥ १५६ ॥
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॥ १५७ ॥
धणेहि सद्धिं रमणिज्जरूवो, खलो सया होइ मणोरमो य / धणं विणा णो रुइरो हुवेइ, विचित्तमेअं भुवणम्मि अत्थि ॥ १५५ ॥ सोऊण केसिस्स वयं य इत्थं, कहेइ भूवो अहयं कयाइ । होऊण पुव्वि रमणिज्जरूवो, अकंतरूवो हुविहामि णाई किच्चा पएसिं सुधम्मलीणं, कुणेइ केसी य तओ विहारं आयाइ भूवो णिअमंदिरम्मि, करेइ सो जागरणं सुधम्मे दट्ठूण रायं य सुधम्मलीणं, कुणेइ राणी हिअये विआरं णिच्वं अयं धम्मरयो वसेइ, ण रज्जचिंतं य करेइ किंचि भोगा ण भुंजेइ ममाइ सद्धिं कुणेइ वत्तं ममए समं णो एअस्स काऊण अओ य घायं, विसेण मंतेण परेण केण ॥ १५९ ॥ रज्जम्मि पुत्तं इर ठाविऊण, वसेमि सायं ३७ अहयं तयाणि कांऊण इत्थं य विचिंतणं सा, सुअं समाहूय कहेइ सव्वं
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॥१६० ॥
(जुग्ग)
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॥ १६५ ॥
साहेइ इत्थं वयणं समायं कया परिक्खा तुह संपयं मे २८ किं का वि इत्थी य कुणेइ चेट्टं, कयाइ हंतुं णिअगं धवं य इत्थं कुमारं कहिऊण सा तं दुअं य पेसेइ णिअं य ठाणं भूवं य हंतुं य कुणेइ पच्छा, मणम्मि सा कं वि जोअणं य ट्ठूण वेलं य मणोणुऊलं, गया सई सा लहु पागसालं मेलेइ भूवस्स य भोअणम्मि, विसं तया सा इर दुट्ठचित्ता संसाररूवं य विचित्तमेयं वरं पयं ३ ९ देति समे वि सत्थं पूरेइ सत्थं णिअगं जया णो, पिओ तया हा ! अपिअव्व होइ दाऊण भूवस्स य भोअणम्मि, विसं स - ठाणम्मि समागया सा खाएइ राया असणं जया तं विसं य पाडेइ णिअं भीमा य पीला य हुवेइ तस्स, सहेइ भूवो समभावचित्तो राणीअ उब्भंण कुणेइ रोसं, कयं इणं ताअ य बुज्झिणं ॥१६७ ।। आगम्म सो पोसहमंदिरम्मि, कुणेइ सो संथरगं तयाणि होऊण पुव्वाभिमुहं णमेइ, जिणा य सिद्धा समणं य केसिं आलोयणं सो कुणिऊण पच्छा, चउव्विहं सो असणं चाइ सुद्धे भावे मई लहित्ता, हुवेइ सोहम्मसुरेसु देवो ॥१६९ ॥ इइइओ सग्गो समतो
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पहावं ॥ १६६ ॥
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॥१६८॥
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(३८) मया । (३९) प्रमुखम् ।
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आढाइ णाई कुमरो तयाणि, विआरमेयं णिअमाअराए चिंतेइ राणी स-मणम्मि इत्थं, इमो कहेज्जा णिवई ण सव्वं
(३७) सातम् ।
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॥ १६३ ॥
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॥ १६४॥

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