Book Title: Paia Pacchuso
Author(s): Vimalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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११३
पाइयपच्चूसो
कारेंति गेहाणि मणोहराई, वसूणि ते तत्थ य विक्किऊणं । अप्पं य कालं य सुहेण ते य, जति चिंता अण का वि चित्ते ॥१४२ ।। विक्केइ लोहं अयवं मणुस्सो, परं ण वित्तं पउरं लहेइ । कव्वेइ कज्जं अवरं तयाणिं, समज्जिउं सो विहवं वहत्तं ॥१४३ ।। दद्रुण तेसिं य गिहाणि सो य, कुणेइ तावं णिअगम्मि चित्ते । चिंतेइ चित्ते जइ हं वि णेज्जा, वसूणि मज्झं वि हुवेज्ज गेहं ॥१४४ ।। कि होइ तावेण परं इयाणिं, तहा कुणिस्सेसि तुमं वि तावं । सोऊण केसिस्स इमं य वाणिं, चवेइ भूवो अण हं कयाइ ॥१४५ ॥ से सारिसो संपइ णो हुविस्सं, भवाण पासे सुणिहामि धम्मं । इत्थं चवेऊण समागओ सो, समं य चित्तेण स-मंदिरम्मि ॥१४६ ।।
(जुग्ग) राणीअ पत्तेण३३ समं य बीये. दिणे स केसिं य उवागओ य ।। साहेइ केसी णिवइं तयाणिं, सुधम्मरूवं इर वित्थरओ य ॥१४७ ।। सोऊण धम्मं उररीकुणेइ, णिवो तयाणि य गिहत्थधम्मं । पच्छा य केसिं णमिऊण सो य, णिअं पुरि गंतुमणो हुवीअ ॥१४८ ॥ साहेइ केसी णिवइं पएसिं, इणं तया सिक्खवयं अमुल्लं । तुं णट्टसाला वणसंड इक्खू-खलाण वाडव्व कयाइ राय ! ॥१४९ ।। होऊण पुवि रमणिज्जरूवो, हुवेज्ज पच्छा ण अंकतरूवो । पुच्छेइ भूवो य कहं इमे य, हुवेंति पच्छा रमणिज्जरूवा ॥१५० ॥
___ (जुग्ग)
सोऊण भवस्स इमं य वाणिं, चवेइ केसी णिवई पएसि । वित्थारओ तेसि तयाणि हेळं, सुणेइ राया अवहाणचित्तो ॥१५१ ॥ नट्टाइकज्जं जइ णट्टगेहे", हुवेइ सा दिस्सइ मंजुरूवा ।। णमाइकज्जं जइ णो हवेइ२६, तयाणि सा होइ अकंतरूवा ॥१५२ ॥ उच्छ्रअ वाडा इर छेयणाइ – कये सया होइ य रम्मरूवा । णो छेयणाई जइ ताअ होइ, तयाणि सा होइ अवग्गवा ॥१५३ ।। प्प्फेहि पत्तेहि फलेहि होइ, वणं सया पेसलरूवगं य । तेहिं विणा तं अमणोरमं य, हवेइ णणं अण संसओ य ॥१५४ ।।
(३३) मूर्यकान्तानामधेया रानी, सूर्यकान्तनामधेयः पुत्रः। (३४) पच्छा + अरमणिज्जरूवा (3.) वादो (प्रा. व्या.-८ १।२२९) इति सूत्रेण आदे: नकारस्य विकल्पेन णो भवति । (३६) भुवे हों हुव हवा: (प्रा.व्या. ८।४।१०) इति सूत्रेण होइ, हुवेइ, हवेइ भवन्ति।

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