Book Title: Padsangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Sukhlalji Ujamshi and Manilal Vadilal Sanand

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Page 186
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १७७ लगा कलेजे बेद गुरोका-ए राग, ॥ पद. १२५॥ शुष्कज्ञान शंकरी शकेरे,पांखो बिन चाले नहि पंखो तर्क वितर्के वाद विवादे, आपमतिने थापेः .. अंधारे अथमाया लोको, शुभ मार्ग नण्यापे. शु ? सत्य मार्ग नहि दोलमा सूजे, गुरु वचने नहि बजे, ब्रह्मनी वातो करता मिथ्या, पक्ष ताणमां झुझे. २ परमारथ हेतु नवी जाणे, शंकायो मन मोळे गहन वातने सत्य ज्ञाननी, युक्तिथी को तोळे. ३ करवानुं ते दोल न धरता, ब्रह्मज्ञानी अझ फरता; जेम सोजाथी जाणे जामो, तेमनिजने अनुसरता.. पुरुषार्थने प्रेमे पकमे नहि प्रीति जस झघमे बुद्धिसागर आतमझाने, पोतानुं नहि बगमे. शु० ५ माणसा. कोइनेद अगमरा बुजे,वाकुं परब्रह्म झट सुजेरे देजी ए राग. ॥ पद २२६ ॥ को निज गुरु घटमां बुजे,वाकुंअगम पन्य ऊटसुजेरे सद्गुरु साहेब घटमां समजी, लेना नसका नामा; अनामीका कोई नाम न जाणे, सो परमातम रामा.! श्वासोश्वासे निशदीन समरो, रही ध्याने गुलताना अलख निरंजन निर्जयदेशी, देखे सो मस्ताना. २ For Private And Personal Use Only

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