Book Title: Padsangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Sukhlalji Ujamshi and Manilal Vadilal Sanand
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धवजी संदेशो कहेजो श्यामने - ए राग. ॥ पतिवृता स्त्रीविषे ॥ ॥ हितशिक्षा. २३९ ॥
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साची शिक्षा समजु स्त्रीने सानमां, कदी न करवो प्राणपतिपर क्रोधजो, सासु ससरानी दितशिक्षा मानवी, पुत्र पुत्रीने करवो सारो बोधजो. पति प्रज्ञाए कारज सहु घरनुं करे, निंदा लवरी करे नहि तलनारजो; पर पुरुषनी साथै प्रोति नहि करे, पति दुःखे दुःखो शोलवंती नारजो. साची. २ पुत्र पुत्री प्रेमे प्रमदा पाळती, लमे नदि घरमां कोश्नी साथजो; नित्य नियमथी धर्म कर्म करतो रहे, समरे प्रेमे त्रण भुवनना नाथजो. लज्जा राखी बोले मोटा आगळे, लक्ष्मी जेव। तेवुं जोजन खायजो लोक विरुद्ध वर्ते नहि कुळवट साचवी, कुलटा स्त्रीनी साथे क्यांश न जायजो, साची. ४
साची. ३
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समता राखे सह कारज करतां थकां शिक्षा देतां कदी नहि अकळायजो; गंजीरता राखी वर्ते संसारमा,
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साची. १

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