Book Title: Padsangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Sukhlalji Ujamshi and Manilal Vadilal Sanand
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विद्यानी खामोथी मूर्खि सहु कहे, करजे साचो धर्ममार्गश्री रामजो. नित्य नियमथो सहु कृत्यों करवा थकी, दळवे दळवे कार्यों सर्वे थायजो;
बुद्धिसागर शिक्षा मानी मानतो, दीकरी गुणियल कुटुंबमांहो गणायचो. शिक्षा. ५
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शिक्षा. ४
लाणंद. धवजी संदेशो कदेशो श्यामने - ए राग. ॥ पुत्रने पितानी शिखामण ॥ २४९ ॥ पिता कहेबे प्रेमपात्र निज पुत्रने, करजोमीने सांभळजे मुज पुत्रजो; कूल दीपक थावाने विद्या शिखवो, धर्म नोतिथी साचववुं घर सूत्रजो. विद्या धन मोटामां मोटुं जाणजे, एक चित्तथो कर तेनो अभ्यास जो; निंदा लवरी जुठु चोरी त्यागजे, गुरु वचननो मन मंदिर विश्वासजो. विनयवंतने सर्वे विद्या सांप, विनय मंत्रrो वैरो वशमां थायजो; मातपिताने पाये लागो प्रेमथी, दरखी व्हेलो शाळामांहि जायजो. दळमळीने चालो सहुनी साथमां,
पिता. १
पिता. २
पिता. ३

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