Book Title: Padsangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Sukhlalji Ujamshi and Manilal Vadilal Sanand

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Page 201
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १५२ विद्यानी खामोथी मूर्खि सहु कहे, करजे साचो धर्ममार्गश्री रामजो. नित्य नियमथो सहु कृत्यों करवा थकी, दळवे दळवे कार्यों सर्वे थायजो; बुद्धिसागर शिक्षा मानी मानतो, दीकरी गुणियल कुटुंबमांहो गणायचो. शिक्षा. ५ For Private And Personal Use Only शिक्षा. ४ लाणंद. धवजी संदेशो कदेशो श्यामने - ए राग. ॥ पुत्रने पितानी शिखामण ॥ २४९ ॥ पिता कहेबे प्रेमपात्र निज पुत्रने, करजोमीने सांभळजे मुज पुत्रजो; कूल दीपक थावाने विद्या शिखवो, धर्म नोतिथी साचववुं घर सूत्रजो. विद्या धन मोटामां मोटुं जाणजे, एक चित्तथो कर तेनो अभ्यास जो; निंदा लवरी जुठु चोरी त्यागजे, गुरु वचननो मन मंदिर विश्वासजो. विनयवंतने सर्वे विद्या सांप, विनय मंत्रrो वैरो वशमां थायजो; मातपिताने पाये लागो प्रेमथी, दरखी व्हेलो शाळामांहि जायजो. दळमळीने चालो सहुनी साथमां, पिता. १ पिता. २ पिता. ३

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