Book Title: Padsangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Sukhlalji Ujamshi and Manilal Vadilal Sanand

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Page 198
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir एनए आशा तृष्णा वृद्धि दु:खमां संपजे, कुव्यापारे मुरख पर आधीनजो. सट्टामा ? लोन तणो नहि थोन्न जुगारे जाणोए, घमोधमोमां रंग घणा बदलायजो; बीजो धंधो सुजे नहि सट्टा की, सर्वे वाते पुरो व्यसनी थायजो. सट्टामा २ मळे नहि शांति ए सट्टा संगयी, जळो अवस्था सट्टानी अवधारजो जोष जुर कोइ सट्टाना व्यापारमां, निका हाल सीके चढे नहि यारजो. सट्टामां. ३ चंचल लक्ष्मो सट्टाना व्यापारधी, समजो समजु मनमां नरने नारजो; त्यजो व्यसन सहानुं समजी सत्यने, करो प्रतिज्ञा गुरु पासे निरधारजो. सट्टामां. ५ लोजी लक्ष्मी लालचबी कूटायने, त्यागो जुगटुं सट्टाना व्यापारजोः बुद्धिसागर न्यायोपार्जित वित्तथी, धर्मबुद्धि प्रगटे सुख मंगल मालजो. सट्टामां. ५ साणंद. For Private And Personal Use Only

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