Book Title: Padsangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Sukhlalji Ujamshi and Manilal Vadilal Sanand

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Page 193
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १च्च (हवे मने हरि नामशुं नेह लाग्यो-ए राम.) ॥प्रांत मंगलम् ३५॥ श्री संखेश्वर पार्श्वजी तारजोरे व्हाला, बाल करे ने कालावालारे श्री संखेश्वर धरणेन्द्र पद्मावती देवी, शासन सानिध्यकारी विघ्नापहारी मंगलकारी, साहाय्य करे सुखकारी रे,श्री. श्री चिन्तामणी पार्श्वमंत्रना, जापे जग जयकारी; दर्शन देश्ने उखमा टाळे, महिमा जगत्मांहि नारो रे अनुन्नव अमृत ज्ञाननो धारा, बालक आपनां रे पामे; संघ चतुर्विध शासन नन्नति, थाशे पापनाज नामेरे. शांति तुष्टि पुष्टिना कर्ता, पाप पाखंम सहु दर्ता पार्श्वप्रन्नु नाममन्त्रना याने, नवसागर जीव तरतारे. आत्मसमाधिना दातानेझाता,अरजी भानरमांस्वीकारो गांमो घदेलो बाल तुमारो, दया लावोने रुट तारो रे, निराकारने साकारवादनी, ताणाताणे के मुख्या नेउनी पासेन्नेदखह्याविस,नशतरमा ब्रान्तिथीनल्यारे, निराकारने साकार तुं प्रन, सापेके सहु साचुं; स्याहाद्द दर्शन ज्ञान विना प्रनु,जाण्यु हवे सहु काचुरे कपटे कोटि प्रयत्नो करो कोइ, जुहूं ते सहु जाणुं; स्याद्वाद दर्शन आतमस्पर्शन, आत्म प्रदेशे रंगागं रे. इष्टदेव ने गुरु सुखसागर, ने धर्मगुरु नपकारी बुद्धिसागर जय जय बोलो, जिनदर्शन बलिहारी रे. शान्तिः शान्तिः शान्तिः For Private And Personal Use Only

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