Book Title: Padsangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Sukhlalji Ujamshi and Manilal Vadilal Sanand

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Page 195
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८६ जुगारीनी संगत कीजे नहि कदा, कुमित्रोनी सोबत दुःख दातारजो; कमवी पण हितशिक्षा मनमां धारवी, परनारी वेश्याानो त्यजजो प्यारजो, मातपितानी जति करीए नावथी, संकट परतां करवी परने स्वायजो; नात जातना सामा पकीए नहि कदी. नित्य सवारे लागो गुरुने पायजो, वचन विचारी बोलो बहु मोगशथी, मोटा जननुं साचवकुं बहु मानजो; गंजीर मनना थाजो सुखमां संपजे, सद्गुरु गुणनुं करवुं जगमां गानजो सुख समयसूचकता समता राखी चालोऐ, धर्मशास्त्रनो घरजो मन श्राचारजो; बुद्धिसागर सद्गुरु संगत कीजीए, पामो तेथी नवसागरनो पारजा, G For Private And Personal Use Only सुख. ६ सुख. ७ · सुख ए साणंद, || पतिव्रता स्त्र । विषे ॥ धवजी संदेशो कहेजो श्यामने - ए राग. २३७ पतिवृता प्रमदाना धर्मो सांजळो, प्रभातकाले व्हेली न े नारजो;

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