Book Title: Nyayaratna Darpan
Author(s): Shantivijay
Publisher: Bhikhchand Bhavaji Sakin

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Page 2
________________ M [ दिवाचा. ] 1 बनाने शुरुआत किताब. इस किताब के छपनेमे देरी इसलियेहुइकि इनदिनोमे मुजे काम बहुत रहा, कइदिनोतक किताब न्यायरत्नदर्पण लिखी हुइ पडीरही, मेरेनामपर कोइमहाशय सवाल पुछे, या चर्चापत्र लिखे में उसका जवाब बिनादिये नही रहता, कभी बसवव कमफुरसत के जवाब देने में देरी होती है, मगर एसा कभी न होगा कि में किसीके सवालोका जवाब न दं, इन्साफके साथ अछेशब्दों में इबारत लिखना पसंद करताहुं इन्साफीलेख सबको पसंद होते है, इसको पढ़कर पाठकवर्ग फायदाहासिलकरे, जिसमहाशयकों इसपर जो कुछ लिखनाहो शौखसे लिखे, मगर शर्त यह है कि बजरीये अखवार या किताबके छपवाकर जाहिर करे, चीठीका जवाबदेना न देना यह ताल्लुक अपनी मरजीके है. इस किताब के पृष्ट अवलपर पंक्ति (११)मी देखो जहां कलगछ छपा है, वहां कवलगछ जानना. आगे पर्वतिथिके और अधिकमहिने के बारेमें किसकदर उमदादलिले दिइगइहै. ब गौर देखे, मुजे उमेदहैकि चर्चाके ग्रंथपढने के शौकिनोको यह जरुर पसंद होगा, आपलोग इसको पढे, और फायदा हासिल करे. [ ग्रंथकर्त्ता. ] w

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